दुर्ग। राज्यसभा सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडेय ने राज्यसभा कार्यकाल समाप्ति के अवसर पर उच्च सदन में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज चला चली की बेला है, और इस चला चली की बेला में जब हम अपने विचारों को व्यक्त कर रहे हैं । तो मैं सबसे पहले सभापति जगदीश धनगढ़ को धन्यवाद करना चाहती हूं । धन्यवाद इस बात का की आपने जीवन का वो अवस्मणीय पाल मुझे दिया है उच्च आसंधि पर बैठने का अवसर दिया है । मैं इसलिए आपको बहुत धन्यवाद करती हूं यह मेरे जीवन का बहुत अविस्मरणीय पल रहा है। नारी सशक्तिकरण की दिशा में आपने जो कदम उठाया मैं उसके लिए आपको बहुत साधूवाद देती हूं। हम बहनों में आत्मविश्वास का संचार हुआ है ।

उन्होंने कहा 6 वर्षों में हमने बहुत कुछ सीखा और बहुत सी सुखद स्मृतियां लेकर हम यहां से जा रहे हैं । मैं अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को धन्यवाद देती हूं। हमारे गृह मंत्री माननीय अमित शाह जी को भी धन्यवाद देती हूं हमारे अध्यक्ष जी को भी धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने मुझे इस उच्च सदन का सदस्य बनने का अवसर दिया कुछ सीखने का अवसर दिया । यह सदन बहुत से विषयों का साक्षी रहा है और अमृतकाल के इस स्वर्णिम सफर में मैं यहां पर उन पलों के साक्षी बन पाए यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मैं देश के प्रधानमंत्री जी को इस बात के लिए धन्यवाद देती हूं कि तीन तलाक का विषय एक ऐसा विषय था जो बार-बार राजनीति में फंस जाता था और राजनीति में फंसने के कारण उस पर निर्णय नहीं हो पाती थी राजनीतिक जिजिविसा का ऐसा उदाहरण देश के प्रधानमंत्री जी ने महिलाओं के लिए दिया । तीन तलाक की मैं साक्षी हूं और आज इस बात के लिए मैं अपने आप को गौरान्वित भी महसूस करती हूं।

उन्होंने कहा नारी शक्ति वंदन अधिनियम जब कई बार इतिहास लिखा जाएगा । तो इस दिशा में उनका स्थान देने के लिए देश के प्रधानमंत्री जी ने जो कोशिश की है मैं देश के प्रधानमंत्री जी को बहुत धन्यवाद देती हूं और अपने आप को सौभाग्यशाली मानती हूं की समय के उस कालखंड में मैं इस सदन में उपस्थित थी मैं उस पल की साक्षी थी और देश के प्रधानमंत्री जी को इस बात के लिए बार-बार धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने इस प्रकार के बिल को लाया जहां पर महिलाएं आगे बढ़ सकती है । सशक्त हो सकती है और आने वाले समय में इस देश में एक अलग परिदृश्य दिखाई देगा । 2014 के बाद से बहुत सा परिदृश्य राजनीतिक परिदृश्य बदला है यह कालखंड बहुत से ऐतिहासिक बहुत संस्कृतिक काल का समय रहा है । जहां पर बहुत परिवर्तन हुए हैं और इन परिवर्तनों में मुझे भी भागीदारी करने का अवसर मिला ।

मैं अपने आप को गौरान्वित महसूस करते हुए एक विषय जो मुझे लगता है कि शायद यह मेरे कार्यकाल में होना चाहिए था लेकिन नहीं हो पाया, और मेरे जाने का समय हो गया है । वह विषय है छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करना । वह विधायक प्राइवेट मेम्बर बिल के तौर पर अगर पारित हो जाता यह विधेयक किन्हीं कारणों से लंबित रह गया यह मन में मेरे कहीं ना कहीं यह कसक बाकी रह गई है लेकिन मैं आज अपने शीर्ष नेतृत्वों को धन्यवाद देते हुए अपनी बात को समाप्त करती हूं और आपको भी साधूवाद देती हूं और सुखद स्मृतियों के साथ में अपने सभी जो इस सदन में मेरे सभी सहयोगी हैं बहुत से नए दोस्त भी मिले जिनके साथ में विचारों का आदान-प्रदान होता है बहुत से ऐसी यादें रही मेरे अपने साथियों के साथ की जिनसे हमने बहुत कुछ सीखा है और बहुत सारी ऐसी परिदृश्य उपस्थित हुए जो नई होने चाहिए मैं कामना करती हूं कि जो लंबित विधायक है और जो दृश्य यहां पर नहीं होने चाहिए वह ऐसी कामना है कि वह उपस्थित न हो इन शब्दों के साथ धन्यवाद ।


