भिलाई। दुर्ग जिले की 6 सीटों में सिर्फ 1 सीट भाजपा के पास है, वो है वैशालीनगर विधानसभा। जहां से विधायक हैं विद्यारतन भसीन। वैसे तो भसीन किस्मत के धनी हैं। 2008 में मेयर का चुनाव किस्मत से लड़े और जीत गए। बिन मांगे टिकट मिल गई। 2013 में भी ऐसा ही हुआ। 2015 के मेयर चुनाव में भी किस्मत ने साथ दिया। दो गुटों के आपसी मतभेद की वजह से उन्हें मेयर का टिकट दे दिया गया। फिर बारी आई 2018 में। सीटिंग विधायक होने के नाते उन्हें दोबारा टिकट मिली और चुनाव जीत गए। आज भसीन की बातें और जिक्र इसलिए करना पड़ रहा है कि क्योंकि दो गुटों की लड़ाई में फिर भसीन का किस्मत जागने वाला है। भिलाई में भाजपा जिलाध्यक्ष बनाने की चर्चा है। इस पर सरगर्मी से चर्चा हो रही है। दुर्ग-भिलाई के राजनीतिक गलियारे में इसकी चर्चा खूब है। अब देखने वाली बात ये है कि कब तक नाम पर मुहर लगती है और क्या भसीन के अलावा कोई और होगा? कोई और तो वो कौन है…? ये बड़ा सवाल है। इन सवालों के जवाब जल्द मिल जाएंगे।
आखिर भसीन ही क्यों…
वैशालीनगर से विधायक विद्यारतन भसीन सरल और सामान्य हैं। ज्यादा तामझाम में रहते नहीं है। भिलाई-दुर्ग के सभी गुटों में विधायक भसीन के संबंध मधुर हैं। यूं कहें तो किसी से कोई विवाद नहीं। भसीन के नाम को रिजेक्ट करने का कोई सवाल भी नहीं बन रहा है। ऐसे में भसीन के नाम को आगे बढ़ाया जा रहा है। सांसद विजय बघेल, राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय और पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय के बीच की गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है। इन तीनों की गुटबाजी को दूर करने के लिए समन्वय बनाने में हमेशा सफल रहने वाले विद्यारतन भसीन को आगे बढ़ाया जा रहा है। राजनीत में इतिहास गवाह है जब-जब नेताओं में आपसी मनमुटाव हुआ है तो उसका फायदा भसीन को ही मिला है। अब देखने वाली बात ये है कि इस बार किस्मत कितना साथ दे रही है।
और कौन-कौन हैं जिलाध्यक्ष की दौड़ में…?
भाजपा जिलाध्यक्ष की दौड़ में विधायक विद्यारतन भसीन के अलावा भाजपा पार्षद महेश वर्मा, साहू समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष खिलावन साहू, रिकेश सेन, कौशलेंद्र प्रताप सिंह, भूषण अग्रवाल, सत्येंद्र सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष संजय दानी, शिरिष अग्रवाल, शंकरलाल देवांगन, अनिल सोनी का नाम जिलाध्यक्ष के लिए सामने आ रहे हैं। हो सकता है भाजपा इनके अलावा सरप्राइज कर सकती है। लेकिन बातें इनकी हो रही है।
धमतरी की बैठक में क्या-कुछ हुआ…
भाजपा के बड़े नेताओं ने धमतरी के गंगरेल रिजॉर्ट में गुरुवार को बैठक की। नेताओं ने दबी जुबान में इसे गोपनीय बैठक कहा। बैठक में आमंत्रित 25 टॉप लीडर्स ही शामिल हुए। इस बैठक में भाजपा के चुनावी रणनीतिकार माने जाने वाले राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश के साथ ही क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल और प्रदेश सह प्रभारी नितिन नबीन भी पहुंचे थे।
चूंकि सभी प्रभावी नेता इस बैठक में शामिल थे। इस बीच नेताओं को बस्तर साधने का टारगेट भी मिला है। आने वाले चुनावों को लेकर भाजपा इस कोशिश में है कि बस्तर में साल 2018 के विधानसभा चुनावों जैसा हाल न हो। इस वजह से आदिवासियों के आरक्षण के मसले पर बस्तर संभाग के जिलों में आंदोलन की रणनीति बनी है।
4 सत्रों में बैठक पूरी की गई। जामवाल और शिव प्रकाश टुकड़ियों में बांटकर स्थानीय नेताओं और पदाधिकारियों से बात करते रहे। इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, संगठन महामंत्री पवन साय, बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, सरोज पांडेय, धरमलाल कौशिक और केदार कश्यप, केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह मौजूद रहीं।
सरोज पांडेय की अगुवाई में भाजपा की महिला नेताओं का बड़ा आंदोलन तय किया जा रहा है। महिलाएं, शराबबंदी, कानून व्यवस्था के मुद्दे पर 3 नवंबर को बिलासपुर से हल्ला बोल रैली निकालने वालीं थीं। मगर अब इस कार्यक्रम को आगे बढ़ा दिया गया है। 1 नवबर से प्रदेश में राज्योत्सव शुरू होने जा रहा है। इस वजह से इस कार्यक्रम को अब 3 की बजाए 11 नवंबर को किया जाएगा।