छत्तीसगढ़ी जसगीत के सुप्रसिद्ध गीतकार परमानंद कठोलिया का निधन: दुकालू यादव से लेकर कांति के लिए सबसे ज्यादा गीत लिखे, कला जगत में शोक

राजनांदगांव/भिलाई। छत्तीसगढ़ी देवी जसगीत के गीतकार परमानंद कठोलिया (रामाधीन सोनकर) का निधन हो गया। सोमवार सुबह उनके निधन की खबर आई। लोक कला जगत में इस खबर के बाद से शोक की लहर है। 65 साल की आयु में परमानंद का निधन हुआ है। तकरीबन 35 सालों से गीत लेखन और लोक कला से जुड़े रहे।


– जसगीत लिखने वाले बड़े गीतकारों में परमानंद का नाम आता था।
– उनके निधन से जसगीत क्षेत्र सूना हो जाएगा।
– जसगीत सम्राट दुकालू यादव, कांतिकार्तिक यादव के लिए सबसे ज्यादा गीत परमानंद कठोलिया ने ही लिखे थे।


– बताया जा रहा है कि स्वास्थ्यगत कारणों से उपचार चल रहा था।
– जहां रविवार की रात को निधन हो गया।
– उनका अंतिम संस्कार आज 8 अगस्त को लखोली मुक्तिधाम में किया जाएगा।


– राजनांदगांव के नंदई में रहते थे। भरा-पूरा परिवार छोड़ गए।
– रचनाकार-गीतकार हर्ष कुमार बिंदू ने भिलाई TIMES से स्मृति साझा करते हुए बताया कि, यकीन नहीं हो रहा है कि परमानंद दुनिया में नहीं है। जुग, जुग…से लेकर कई सुपरहिट जसगीत की रचना उन्होंने किया है। झूले नजर, नजर में दाई…ऐसे कई गाने परमानंद ने लिखे थे।


– मुझे आज भी याद है जब मेरी किताब आई थी देवी वंदना नाम से…। उसे पढ़कर हिंदी जसगीत लिखते थे।
– छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ी में लोग जसगीत लिखना शुरू किए।
– युवा कलाकारों को परमानंद कठोलिया जैसे रचनाकारों की जरूरत थी।


– उनके निधन से अपूर्णिय क्षति हुई है। जिसे कभी भरा नहीं जा सकता।
– मेरे से उम्र में परमानंद छोटे थे। हमेशा मिलनसार थे। युवाओं के चहेते रहे।
– अब उनके निधन से बड़ा कोना खाली हो जाएगा।


– छत्तीसगढ़ी लोक सिंगर कांतिकार्तिक यादव ने बताया कि, मेरे अभिभावक के रूप में परमानंद जी थे।
– उनके निधन से गहरा शोक है।
– मेरे अधिकांश गानों के लिए परमानंद जी ने ही गीत लिखे।
– अब यकीन नहीं हो रहा है। मां दुर्गा उन्हें आशीष चरणों में स्थान दें।

परमानंद का जीवन परिचय…

  • परमानंद कठोलिया का जन्म 11 जुलाई 1957 को हुआ था
  • राजनांदगांव शहर के नंदई के रहने वाले थे
  • प्राथमिक स्तर पर उन्होंने शिक्षा प्राप्त की
  • जसगीत, फागगीत, लोकगीतों का लेखन करते थे
  • दुकालू यादव, कांतिकार्तिक यादव के लिए सबसे ज्यादा गीत लिखे
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