केंद्र ने पूजा खेडकर को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को ये जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने छह सितंबर, 2024 के आदेश के तहत आईएएस (परिवीक्षाधीन) नियम, 1954 के नियम 12 के तहत खेडकर को तत्काल प्रभाव से भारतीय प्रशासनिक सेवा से मुक्त कर दिया। यह नियम केंद्र सरकार को यह अधिकार देते हैं कि यदि कोई परिवीक्षाधीन व्यक्ति ‘‘पुनर्परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाता या यदि केंद्र सरकार को यह विश्वास हो जाता है कि परिवीक्षाधीन व्यक्ति सेवा में भर्ती के लिए अयोग्य था या सेवा का सदस्य होने के लिए अनुपयुक्त है’’, तो वह उसे सेवा से मुक्त कर सकता है। खेडकर अपने कैडर राज्य महाराष्ट्र में एक परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी के रूप में कार्यरत थीं।
बता दें कि एक महीने पहले संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने पूजा खेडकर का चयन रद्द कर दिया था। पूजा खेडकर पर आरक्षण का लाभ पाने के लिए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के लिए अपने आवेदन में ‘गलत जानकारी प्रस्तुत करने’ का आरोप लगाया गया है। इसके बाद यूपीएससी ने 31 जुलाई को खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और उन्हें भविष्य की परीक्षाओं में हिस्सा लेने से भी रोक दिया था।
आयोग ने कहा कि पिछले 15 वर्षों में खेडकर का यह “एकमात्र मामला” है, जिसमें वह यह पता नहीं लगा सका कि खेडकर ने एक अभ्यर्थी के लिए सीएसई परीक्षा में बैठने के लिए निर्धारित प्रयासों से ज्यादा बार परीक्षा दी, क्योंकि “उसने न सिर्फ अपना नाम बदला, बल्कि अपने माता-पिता के नाम भी बदल दिए।” यूपीएससी ने खेडकर के खिलाफ इस आरोप में पुलिस में मामला दर्ज कराया है कि उसने अपनी फर्जी पहचान बताकर सिविल सेवा परीक्षा में निर्धारित प्रयासों से अधिक बार परीक्षा देकर धोखाधड़ी की है।
इसके बाद खेडकर ने यह कहते हुए सत्र अदालत का रुख किया था कि उन्हें ‘‘तुरंत गिरफ्तारी का खतरा है।’’ हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूजा खेडकर को गिरफ्तारी से दिया गया अंतरिम संरक्षण 5 सितंबर तक बढ़ा दिया। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई पांच सितंबर तक के लिए टाल दी और पुलिस को इस बीच ताजा स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने की स्वतंत्रता दी।