तेहरान। ईरान के राष्टपति इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत की खबर है. ईरानी बचाव दल रेड क्रिसेंट घंटों की मेहनत के बाद हेलिकॉप्टर क्रैश वाली जगह पर पहुंचा, जहां किसी के भी जीवत बचने के संकेत नहीं मिले.

इस हेलिकॉप्टर में राष्ट्रपति रईसी के साथ ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीर अब्दुल्लाहियन सहित कुल 9 लोग सवार थे और क्रैश में सभी की मौत की आशंका जताई जा रही है. इब्राहिम रईसी के यूं अचानक निधन के बाद सवाल उठ रहा है कि उनके बाद अब ईरान की कमान कौन संभालेगा? जानें क्या कहता है ईरान का संविधान…
ईरानी संविधान के मुताबिक, अगर किसी सिटिंग राष्ट्रपति की अचानक मौत हो जाती है, तो उस सूरत में आर्टिकल 131 के तहत प्रथम उपराष्ट्रपति को अधिकतम 50 दिनों के लिए यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. हालांकि इसके लिए ईरान सर्वोच्च नेता यानी आयतुल्ला खामनेई की मंजूरी जरूरी होगी. इस हिसाब से ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर को अब राष्ट्रपति बनाया जा सकता है.
इसके बाद उपराष्ट्रपति, संसद के अध्यक्ष और न्यायपालिका के प्रमुख से बनी परिषद को अधिकतम 50 दिनों के अंदर नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव की व्यवस्था करनी होगी. इब्राहिम रईसी 2021 में राष्ट्रपति चुने गए थे और अब अगला राष्ट्रपति चुनाव 2025 में होने थे. हालांकि अब उनकी मौत के बाद जल्द ही वहां दोबारा से चुनाव कराए जाएंगे.
कौन हैं उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर?
ईरान में प्रथम उपराष्ट्रपति का पद निर्वाचित नहीं, बल्कि एक नियुक्त पद है, यानी इसके लिए चुनाव नहीं होते, बल्कि राष्ट्रपति खुद अपने सहयोगी को नियुक्त करते हैं. रईसी ने भी राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद अगस्त 2021 में मोखबर को प्रथम उपराष्ट्रपति नियुक्त किया था.
राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हुई मौत, अब कौन संभालेगा ईरान की कमान? क्या कहता है संविधान
ईरान में एक साथ कई उपराष्ट्रपति नियुक्त किए जाते हैं- वे ज्यादातर कैबिनेट सदस्यों के रूप में काम करते हैं. हालांकि मोखबर का पद समान लोगों में प्रथम माना जाता है. वर्ष 1989 में प्रधानमंत्री का पद समाप्त होने के बाद प्रथम उपराष्ट्रपति को उनकी कुछ शक्तियां दे दी गई थी.
संविधान में हुए इस संशोधन के बाद से मोखबर प्रथम उपराष्ट्रपति का पद संभालने वाले सातवें व्यक्ति हैं. उपराष्ट्रपति पद पर नियुक्ति से पहले मोखबर ने 14 वर्षों तक ईरान के सेताड के प्रमुख के रूप में कार्य किया. यह एक ताकतवर आर्थिक समूह माना जाता है, जो ज्यादातर धर्म-कर्म से जुड़े काम करता है.