नई दिल्ली, रायपुर। छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित 450 करोड़ से अधिक के कोल लेवी वसूली और मनी लांड्रिंग घोटाला मामले में जेल में बंद निलंबित IAS रानू साहू, पूर्व मुख्यमंत्री की डिप्टी सेक्रेटरी सौम्या चौरसिया, कारोबारी सूर्यकांत तिवारी समेत 12 आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जांच में काफी समय लगेगा, इसलिए समय लेने वाली प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ताओं को अंतरिम जमानत पर रिहा करना उचित समझते हैं।

हालांकि, सौम्या चौरसिया पर आय से अधिक संपत्ति का एक अन्य मामला भी दर्ज है, जिसके चलते वह अब भी जेल में रहेंगी। इस मामले में उन्हें जमानत नहीं मिली है, जिससे उनकी रिहाई फिलहाल संभव नहीं है। ये सभी करीब दो वर्ष से अधिक समय से जेल में हैं। इनकी पूर्व में कई याचिकाएं खारिज हो चुकी थीं। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कहा है कि मामले में निर्धारित तारीख पर याचिकाकर्ताओं के आचरण पर रिपोर्ट प्रस्तुत करे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इस मामले में जांच में काफी समय लगेगा इसलिए समय लेने वाली प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ताओं को अंतरिम जमानत पर रिहा करना उचित है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतरिम जमानत रिहाई ट्रायल के आधार पर दी गई है ताकि स्वतंत्रता और निष्पक्ष जांच के बीच संतुलन बनाया जा सके।

सुप्रीम कोर्ट जमानत देते हुए कहा कि आरोपी अगर किसी गवाह को प्रभावित करने, सबूतों से छेड़छाड़ करने या जांच में बाधा डालने में लिप्त पाया जाता है, तो राज्य सरकार अंतरिम जमानत रद्द कराने के लिए कोर्ट में आवेदन कर सकती है। और ऐसी स्थिति में अंतरिम जमानत रद्द कर दी जाएगी। बता दें कि इन सभी हाई प्रोफाइल आरोपियों को एंटी करप्शन ब्रांच की ओर से दाखिल मुकदमे में अंतरिम जमानत मिली है।
