समाज के हर वर्ग के साथ युवाओं के लिये समर्पित हैं डॉ. महेशचन्द्र शर्मा की पुस्तक ‘गागर में सागर’- डॉ.काशीनाथ तिवारी

भिलाई। आचार्य डॉ. महेशचन्द्र शर्मा ने संस्कृत साहित्य का विस्तार से अध्ययन और अध्यापन करके उसका सार इस पुस्तक में लिखा है। “गागर में सागर” में जीवनोपयोगी सूत्रों की सरल और व्यावहारिक व्याख्यायें की गयी हैं। समाज के हर वर्ग के साथ युवाओं के लिये ये समर्पित हैं।” इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के लोकपाल डॉ.काशीनाथ तिवारी ने ये विचार व्यक्त किये। विगत दिनों वे विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा साहित्य मनीषी डॉ. महेशचन्द्र शर्मा की आठवीं पुस्तक “गागर में सागर” की समीक्षा संगोष्ठी के मुख्य अतिथि की आसन्दी से प्रबुद्ध जनों को सम्बोधित कर रहे थे। मौके पर विशेष रूप से आमन्त्रित एवं देश-विदेश के अनेक सफल सांस्कृतिक और शैक्षणिक भ्रमण कर चुके भिलाई के वरिष्ठ शिक्षाविद् आचार्य डॉ. महेशचन्द्र शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

लेखन के अपने अनुभव साझा करते हुये आचार्य शर्मा ने कहा कि प्रायः ढाई सौ पृष्ठों की इस पुस्तक में मैंने अपने सुदीर्घ पठन-पाठन,शोध-लेखन और भ्रमण के जीवनोपयोगी निष्कर्षों को सरल और संक्षिप्त भाषा – शैली में रखने का विनम्र प्रयास किया है। यदि पाठक इससे लाभान्वित हुये तो मेरी कोशिश सफल और सार्थक होगी। संगोष्ठी का सफल संचालन करत हुये विभाग की संस्कृत विदुषी डॉ.पूर्णिमा केलकर ने लेखक डॉ.शर्मा की सराहना करते हुये उनकी सूत्र शैली को छात्रोपयोगी बताया। पुस्तक में प्रकाशित धर्म, संस्कृति, साहित्य,योग,संयम, देशभक्ति, व्यवहार ज्ञान, अहिंसा और सदाचार आदि पर लिखित ललित निबन्धों की भी उन्होंने प्रशंसा की। शोधछात्रा नीलम श्रीवास्तव ने पुस्तक में आयीं वेद, रामायण, महाभारत, गीता एवं कालिदास साहित्य आदि से चुने हुये पद्यों की सर्वधर्म समभाव परक व्याख्याओं को समसामयिक और उपयोगी बताया।

पुस्तक चर्चा से प्रभावित होकर अनेकानेक लोगों की आशाओं को पूरा करते हुये प्रायः नौ शिक्षकों,शोधार्थियों और एम.ए.के विद्यार्थियों को लेखक द्वारा पुस्तकें नि: शुल्क भेंट की गयीं।वे पठनोपरान्त समीक्षालेख लिखेंगे। ज्ञातव्य है कि इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ एशिया का प्रसिद्ध विश्वविद्यालय है। देश – विदेश के अनेक विद्यार्थी यहाॅं से कला और साहित्य का ज्ञान प्राप्त करते हैं। डॉ.शर्मा यहाॅं के लिये अनेक वर्षों से, विशेष आमन्त्रित विषय विशेषज्ञ के रूप में मनोनीत हैं। उन्होंने विगत वर्ष अपनी सभी दस पुस्तकें विश्वविद्यालय ग्रन्थागार को भेंट कीं थीं विगत वर्ष उनकी पुस्तक ” साहित्य और समाज” पर भी यहाॅं संगोष्ठी आयोजित की गयी थी। अभी हाल ही में सम्पन्न इस कार्यक्रम में डॉ.शर्मा ने यह भी घोषणा की कि वे अपने स्मृति शेष दादा जी पं.मदन शर्मा के नाम से संस्कृत में सर्वोच्च अंक प्राप्त विद्यार्थी को नगद राशि से पुरस्कृत करेंगे। अन्त में संस्कृत विभाग की ओर से डॉ.पूर्णिमा केलकर ने आभार ज्ञापित किया।

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