रायपुर। लंबित भुगतान समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदेशभर के राइस मिलर्स हड़ताल पर हैं। कैबिनेट की बैठक में धान कस्टम मिलिंग की प्रोत्साहन राशि 80 रुपए प्रति क्विंटल करने और खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में राइस मिलों को लंबित प्रोत्साहन राशि की प्रथम किश्त देने का निर्णय लिया गया। इसके बाद भी राइस मिलर्स ने हड़ताल पर रहने का फैसला लिया है। राईस मिलर्स के संगठन राईस मिलर्स एसोसिएशन ने आगामी 20 दिसंबर तक हड़ताल पर जाने का एलान किया है। इस दौरान शासन से मौजूदा धान ख़रीदी सत्र को लेकर कोई व्यवहार नहीं किया जाने का फ़ैसला एसोसिएशन ने बैठक में लिया है। संकेत हैं कि यदि 20 दिसंबर तक सकारात्मक हल नही निकला तो यह हड़ताल आगे बढ़ सकती है।
प्रमुख दो बिंदुओं पर समाधान चाहते हैं राईस मिलर्स
जिन मसलों पर राज्य सरकार से गतिरोध है, उनमें धान ख़रीदी वर्ष 2022-23 का भुगतान और ट्रांसपोर्टिंग की दर का विषय है। मिलर्स एसोसिएशन का कहना है कि, वर्ष 2022-23 का एक हज़ार करोड़ से अधिक का भुगतान सरकार से लेना है, लेकिन सरकार उसे देने को लेकर चुप है। दूसरा अहम मसला ट्रांसपोर्टिंग का विषय है जिसमें केवल 14 रुपए की दर रखी गई है। एसोसिएशन इसे भयावह विसंगतिपूर्ण मानता है।
हड़ताल से क्या असर होगा
सरकार और एसोसिएशन के बीच गतिरोध जो कि अब हड़ताल में परिवर्तित है, उस की प्रारंभिक मियाद 20 दिसंबर है। लेकिन इन आठ दिनों में राज्य के धान ख़रीदी केंद्रों में अंदाज़न दस लाख टन धान जाम हो सकता है। इसके साथ ही बारदाना ही किसानों को नहीं मिलेगा। एसोसिएशन की हड़ताल यदि प्रभावी रही तो असर साल्वेंट और पॉवर प्लांट को भी पड़ सकता है।
यह सविनय अवज्ञा है और इसके लिए सरकार ही दोषी है -योगेश
राईस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल इस हड़ताल को सविनय अवज्ञा का नाम दे रहे हैं और उनका मानना है कि, ऐसी स्थिति के लिए सरकार के अधिकारियों का तंत्र ज़िम्मेदार है।एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने कहा – “जो स्थितियां हैं और जिस तरह से सरकारी अधिकारियों की हठधर्मिता है, ऐसी परिस्थितियों में राईस मिलर्स मिल नहीं चला सकते हैं। हमने बैठक बुलाई और सारी स्थितियों पर चर्चा हुई। एकमत से निर्णय हुआ कि, इस वर्ष के धान के मसले पर सरकार से कोई संवाद व्यवहार नहीं होगा। हमने कई बार सरकार से आग्रह किया और सीएम सहित वरिष्ठ नेताओं ने सहानुभूतिपूर्वक सहमति भी जताई लेकिन जब फ़ैसले की बारी आई तो विषय ही विचार तक के लिए नहीं आया। हम 20 दिसंबर तक हड़ताल पर हैं, यदि 20 तक स्थिति सामान्य होती है, सरकार हमारी न्यायसंगत मांग को पूरा करती है तो मिलर्स काम करेंगे, यदि हठधर्मिता बनी रही तो 20 को ही एसोसिएशन की फिर से बैठक में आगे का फैसला होगा।”