भिलाई। हाल ही में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा घोषित किए गए तीसरे राष्ट्रीय जल पुरस्कारों में सेल को सर्वश्रेष्ठ उद्योग श्रेणी के तहत तीसरा पुरस्कार दिया गया। इस पुरस्कार के लिए भिलाई इस्पात संयंत्र की यूनिवर्सल रेल मिल के जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (यूआरएम-जेडएलडी) को मॉडल केस के रूप में लिया गया है।
अपशिष्ट जल प्रबंधन के लिए नवीनतम निर्देशों को ध्यान में रखते हुए, बीएसपी के यूआरएम ने जीरो लिक्विड डिस्चार्ज यूनिट बनने के लिए स्केल रिमूवल फिल्टर से अपने प्रमुख बैकवाश पानी को रिसाईकिल करना प्रारंभ किया है। यूआरएम में हाल ही में दो अलग-अलग इकाइयों में इन-हाउस संसाधनों के साथ अंडरग्राउंड पाइप लाइन बिछाई गई थी ताकि फिल्टर से प्राइमरी सेटलिंग टैंक तक बैकवाश पानी को रिसाइकिल किया जा सके।
दुनिया की सबसे लंबी रेल बनाने वाले यूआरएम के पास अपने वाटर ट्रीटमेंट प्लांट हैं, जो री-हीटिंग फर्नेस और मिल क्षेत्र में विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिए विभिन्न ग्रेड के पानी की आपूर्ति कर रहा हैं। मिल की डिजाइन की आवश्यकता के अनुसार शीतल जल, डायरेक्ट कूलिंग वाटर और इनडायरेक्ट कूलिंग वाटर की आपूर्ति की जाती है।
आपूर्ति किए गए पानी को चार चरणों में फिल्टर किया जाता है। पहला चरण प्राइमरी सेटलिंग टैंक है जहां ग्रैब बकेट क्रेन की मदद से स्केल को हटाया जाता है। मिल एरिया और फर्नेस से पानी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट-1 (डब्ल्यूटीपी -1) के प्राइमरी सेटलिंग टैंक में आता है,
जबकि टंडेम मिल एरिया और हेड हार्डनिंग से पानी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट-2 के (डब्ल्यूटीपी -2) प्राइमरी सेटलिंग टैंक में आता है। इन प्राइमरी सेटलिंग टैंकों से सेकेंडरी सेटलमेंट टैंकों में पानी पंप किया जाता है, जहां वाटर ट्रीटमेंट प्लांट-3 पर चार सेकेंडरी सेटलिंग टैंकों में दूसरे चरण की फिल्टरिंग की जाती है।
लगातार काम करने वाले चार स्क्रैपर्स की मदद से इन सेकेंडरी सेटलमेंट टैंक के एक सिरे पर बारीक स्केल जमा किया जाता है। इन को ग्रैब बकेट क्रेन की मदद से बाहर निकाला जाता है। इस पानी को फिल्टर करने के लिए पंप करने से पहले, 6 ऑयल स्किमर की मदद से पानी से तेल को दूर किया जाता है।
इसके बाद, आठ स्केल रिमूवल फिल्टर (एसआरएफ) में तीसरे चरण की फिल्टरिंग की जाती है। सेकेंडरी सेटलमेंट टैंक से पानी को स्केल रिमूवल फिल्टर में, पंप किया जाता है। यहां ज्यादातर स्केल हटा दिए जाते हैं। चैथा और अंतिम चरण फिल्टरिंग हाइडैक ऑटो बैक वॉश फिल्टर के माध्यम से पानी की आपूर्ति करके किया जाता है जो 100 माइक्रान तक के आकार के कण को हटा देता है। इस प्रकार, यूआरएम में विश्व स्तरीय रेल बनाने के लिए चौबीसों घंटे अच्छी गुणवत्ता वाले पानी की आपूर्ति की जाती है।
कार्य की आवश्यकता के अनुसार, स्केल रिमूवल फिल्टर और हाइडैक फिल्टर को उनके कुशल संचालन के लिए प्रत्येक शिफ्ट में नियमित रूप से बैक वॉश द्वारा साफ करने की आवश्यकता होती है। इन फिल्टरों का बैक वॉश वाटर, आउटलेट-बी के जरिए प्लांट के बाहर निकाला जाता है।
हाल ही में, काफी विचार-विमर्श और चर्चा के बाद, यूआरएम ने इस पानी को सिस्टम में वापस लाने के लिए एक सिस्टम प्रक्रिया प्रारंभ करने और स्थापित करने का फैसला लिया। डायरेक्ट कूलिंग वॉटर सर्किट (डब्ल्यूटीपी -3) का हाइडैक फिल्टर बैकवाश, पानी जो बारिश के पानी के साथ बह जा रहा था, उसे पुनः उपयोग के लिए सेकेंडरी सेटलमेंट टैंक में भेज दिया गया।
फिल्टर लाइन में उच्च अवशिष्ट दबाव के कारण यह आसानी से किया जा सका। इसी तरह इनडायरेक्ट कूलिंग वॉटर सर्किट (डब्ल्यूटीपी -4) का हाइडैक फिल्टर बैकवाश वॉटर, जो बारिश के पानी के साथ बह जा रहा था, को ओवर हेड फिलिंग सम्प में भेज दिया जा रहा है। यहां से इस पानी को प्रेशर सैंड फिल्टर के जरिए फिल्टर किया जाता है और फिल्टर के बैकवाशिंग में उपयोग के लिए ओवरहेड टैंकों में भेजा जाता है।
इन सभी माॅडीफिकेशनों के बावजूद, स्केल रिमूवल फिल्टर के बैकवाश पानी का एक बड़ा हिस्सा, अभी भी प्लांट के बाहर आउटलेट-बी में बहाया जा रहा था। इस पानी को पुनः सिस्टम में लाना एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि इसमें बारीक स्केल थे और अवशिष्ट दबाव बहुत मामूली था। बैकवाश वाटर का अतिरिक्त भार उठाने के लिए डब्ल्यूटीपी-1 की क्षमता का आकलन करने के लिए विस्तृत इंजीनियरिंग की गई। इलाके की कंटूरिंग की गई और ईबीएसआई की टीम द्वारा सर्वे किया गया।
विभिन्न ले-आउट का अध्ययन किया गया और न्यूनतम मोड़ और लंबाई वाले को स्केल रिमूवल फिल्टर से डब्ल्यूटीपी -1 प्राथमिक सेटलिंग टैंक तक 300 मिमी व्यास की 80 मीटर लंबाई पाइप बिछाने के लिए चुना गया। सभी आठ स्केल रिमूवल फिल्टर बैक वॉश आउटलेट को इस पाइप से जोड़ा गया और पानी को डाइवर्ट करने के लिए उपयुक्त स्थानों पर वाल्व लगाए गए थे। सिविल इंजीनियरिंग विभाग ने बहुत कम समय में काम के निष्पादन यानी गड्ढे की खुदाई और कंक्रीट तोड़ने के लिए सभी सहायता प्रदान की। पाइप की एकसमान ढाल बनाए रखने और ऊर्जा के नुकसान को कम करने के लिए 135 डिग्री के कोण के साथ सभी मोड़ भी प्रदान किए गए थे।
यह प्रयोग सफल साबित हुआ और लगभग 80 घन मीटर प्रति घंटा पानी अब केवल गुरुत्वाकर्षण के माध्यम से रिसाईकिल किया जा रहा है। इस अतिरिक्त जल ने वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में मेकअप वाटर की आवश्यकता को काफी कम कर दिया है।
इसके पुनः उपयोग के लिए, एक और माॅडीफिकेशन की आवश्यकता थी और 80 मिमी व्यास का 120 मीटर लंबाई का पाइप सीधे ठंडा पानी के हेडर से ओवरहेड फिलिंग टैंक तक बिछाया गया। हाइडैक फिल्टर के बाद इस लाइन को टैप करने का ध्यान रखा गया ताकि केवल फिल्टर और साफ पानी ही ओवरहेड टैंक में जाए।
चूंकि इस हेडर लाइन का दबाव 8 किलोग्राम प्रति वर्ग सेंटीमीटर है, इसलिए बिना किसी पंप को चलाए 40 मीटर की ऊंचाई पर ओवरहेड टैंक भरना संभव था। इससे पहले, औद्योगिक मेकअप वाटर का उपयोग ओवरहेड टैंक और बैकवाश फिल्टर भरने के लिए किया जाता था। अब इस माॅडीफिकेशन के साथ, ओवरहेड टैंक फिलिंग पंपों की आवश्यकता समाप्त हो गई है और रिसाइकल्ड बैकवाश पानी सीधे ओवरहेड टैंक में भर दिया जाता है और फिर फिल्टर सफाई के लिए उपयोग किया जाता है।
लेआउट में मामूली इंजीनियरिंग परिवर्तन से जुड़ी एक छोटी सी पहल से यूआरएम ने बड़ी मात्रा में मेकअप वाटर को बचाने में कामयाबी हासिल की है। इस माॅडीफिकेशन के प्रमुख लाभों में आउटलेट बी पंप हाउस पर पानी के भार को कम करना शामिल है, जिसे 4 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया जा रहा है ताकि विभिन्न इकाइयों से 400 मीटर प्रति घंटा की दर से पानी को रिसाईकिल किया जा सके। इस माॅडीफिकेशन के फलस्वरूप तीन नग वेस्ट वाटर पंपों और तीन नग ओवर हेड टैंक फिलिंग पंपों का संचालन और रखरखाव समाप्त हो गया है। दो नग प्रेशर सैंड फिल्टर और दो नग ब्लोअर की भी जरूरत समाप्त हो गई। वर्तमान में डब्ल्यूटीपी -1 की मौजूदा पंपिंग सुविधा का ही उपयोग किया जा रहा है और कोई अतिरिक्त पंप स्थापित नहीं किया गया है। इस प्रकार न केवल बिजली और पानी की बचत हुई बल्कि स्पेयर पार्ट्स में भी बचत संभव हो सकी है।
इस महत्वपूर्ण माॅडीफिकेशनों के लिये संयंत्र के निदेशक प्रभारी श्री अनिर्बान दासगुप्ता ने यूआरएम बिरादरी और क्रॉस-फंक्शनल टीम को बधाई देते हुए कहा कि सेल के लिए राष्ट्रीय जल पुरस्कार में तीसरा पुरस्कार प्राप्त करना वास्तव में गर्व की बात है जिसके लिए यूआरएम के जेडएलडी प्रोजेक्ट को एक मॉडल केस के रूप में लिया गया।
भिलाई इस्पात संयंत्र, जल संरक्षण, पुनर्चक्रण और उपचार के बाद पुनः उपयोग द्वारा जीरो लिक्विड डिस्चार्ज संयंत्र बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। भिलाई इस्पात संयंत्र आज देश में एकीकृत इस्पात संयंत्रों में पानी खपत के मामले में दूसरे स्थान पर है। आज बीएसपी द्वारा क्रूड स्टील उत्पादन में विशिष्ट जल खपत दर 2.75 घन मीटर प्रति टन क्रूड स्टील है। उन्होंने कहा कि यूआरएम-जेडएलडी जैसी परियोजनाओं के क्रियान्वयन से यह दर साल के अंत तक और भी कम हो जाएगा। कार्यपालक निदेशक (परियोजना) श्री ए के भट्टा ने टीम यूआरएम को इन-हाउस संसाधनों के माध्यम से इन माॅडीफिकेशनों को पूर्ण करने के उनके समग्र प्रयासों के लिए बधाई दी जिससे इस परियोजना के निष्पादन में समय और धन की बचत हुई है।
इन माॅडीफिकेशनों को पूर्ण करने वाले क्राॅस फंग्शनल टीम के सदस्यों में शामिल हैं- महाप्रबंधक (आॅपरेशन), श्री संजय कुमार, महाप्रबंधक (आॅपरेशन), श्री एच के पाठक, महाप्रबंधक प्रभारी (आॅपरेशन), श्री एम वी राम प्रसाद, महाप्रबंधक (मेकेनिकल), श्री इलियास अहमद तथा महाप्रबंधक (इलेक्ट्रिकल) श्री शिशिर शुक्ला। इन सभी को और टीम के अन्य सदस्यों को बधाई देते हुए कार्यपालक निदेशक (वर्क्स) श्री अंजनी कुमार ने कहा कि बेहतर जल प्रबंधन के लिए अन्य प्रमुख क्षेत्रों में पानी का इष्टतम उपयोग, रिसाव, वाष्पीकरण के कारण पानी के होने वाले नुकसान को कम कर, वाटर हार्वेस्टिंग आदि के माध्यम से वर्षा जल को भी संचित करना होगा। इस परियोजना में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले अन्य कार्मिकों में शामिल है- डीजीएम (इलेक्ट्रिकल), श्री आर के पुरोहित, एजीएम (इलेक्ट्रिकल), श्री संतोष पाटीदार, प्रबंधक (आॅपरेषन) श्री एस ढाल और एमओसीटी श्री एस सी मजूमदार।
सीजीएम (यूआरएम) श्री अनीश सेनगुप्ता ने बताया कि सुधार और माॅडीफिकेषन की यह यात्रा दो साल पहले यूआरएम के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के वाटर ऑडिट के साथ शुरू हुई थी। समिति के सभी सुझावों को एक-एक कर लागू किया गया जैसे कंक्रीट की नींव को मजबूत करना, नींव के फ्रेम में माॅडीफिकेशन, नए पंपों की स्थापना, इसके मिल स्केल को प्रभावी ढंग से हटाने के लिए सेकेंडरी सेटलिंग टैंक के स्क्रैपर आर्म्स में माॅडीफिकेशन, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट 1 और 2 हेडरलाइन में एक्चूएटर संचालित बाईपास वाल्व लगाया गया। प्रत्येक पंप में सामान्य पाइप के साथ एनआरवी के बाद कास्ट बेसाल्ट पाइप के टुकड़े को बदलना ताकि एनआरवी फ्लैप को पूरी तरह से खोला जा सके और पंप प्रवाह में वृद्धि हो सके, जिसके परिणामस्वरूप केवल एक पंप को चलाकर संप लेवल बनाये रखने में आसानी हुई। उल्लेखनीय है कि विभिन्न टीमों द्वारा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के सुचारू संचालन के लिए कई और माॅडीफिकेशन किये गये।