रायपुर। छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों- अधिकारियों के आंदोलन को लेकर सरकार सख्त दिखाई दे रही है। सरकार ने सात जुलाई को हड़ताल पर रहने वाले कर्मियों का सर्विस ब्रेक करने का आदेश जारी कर दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागाध्यक्षों, संभाग आयुक्तों और जिला कलेक्टर्स को पत्र लिखकर ऐसे कर्मचारियों पर कार्रवाई करने को कहा है। इसके अलावा सैलरी काटने का आदेश भी जारी किया गया है।
प्रदेशभर के सरकारी कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेकर शुक्रवार को अपनी मांगों को लेकर एक दिवसीय हड़ताल पर थे। पीएम नरेंद्र मोदी के दौरे के चलते रायपुर कलेक्ट्रेट छोड़कर पूरे प्रदेश में स्कूल,सरकारी दफ्तरों और मंत्रालय से लेकर संचालनालय तक सभी दफ्तरों में सन्नाटा परसा रहा।
पहली बार छत्तीसगढ़ में एक साथ 145 संगठन मिलकर अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में इस आदेश के बाद सरकार और कर्मचारियों के बीच टकराहट बढ़ने के आसार है।
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने कहा कि, चरणबद्ध आंदोलन से पहले हमने 23 जून को मुख्य सचिव कार्यालय में विधिवत सूचना दी थी, जिसकी पावती संयुक्त मोर्चा के पास है। इस तरह की कार्रवाई करने के बजाय सरकार को सरकारी कर्मचारी संगठनों से चर्चा कर समस्याओं और शिकायतों का समाधान करना चाहिए।
राज्य के कर्मचारियों की लंबे समय से मांग है कि केंद्र के बराबर महंगाई भत्ता और सातवें वेतनमान के अनुरूप गृह भाड़ा भत्ता दिया जाए। राज्य सरकार ने 5 प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़ाया है, इसके बाद भी कर्मचारी केंद्र सरकार की तुलना में अभी भी 4 प्रतिशत पीछे हैं। अब कर्मचारियों का आरोप है कि राज्य सरकार ना तो एरियर्स की राशि दे रही है और ना ही केंद्र के बराबर महंगाई भत्ता दे रही है। हालांकि छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों के डीए में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी, तो यही उम्मीद थी कि कर्मचारी संगठन अपना हड़ताल स्थगित कर देंगे, लेकिन कर्मचारी संगठन नहीं माने।