आज से तीन नए कानून लागू : अब घर बैठे करा सकेंगे एफआईआर, छत्तीसगढ़ के इस जिले में भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत दर्ज हुई पहली FIR, जानिए क्या-क्या हुआ बदलाव…

रायपुर। आज यानी 1 जुलाई से देशभर में तीन नए क्रिमिनल कानून लागू होने से कई बदलाव हुए हैं। नए क्रिमिनल कानूनों में महिलाओं, बच्चों और जानवरों से जुड़ी हिंसा के कानूनों को सख्त किया गया है। अब घर बैठे भी e-FIR दर्ज करा सकते हैं। अब मर्डर करने पर धारा 302 नहीं, 101 लगेगी। धोखाधड़ी के लिए फेमस धारा 420 अब 318 हो गई है। रेप की धारा 375 नहीं, अब 63 है। शादीशुदा महिला को फुसलाना अब अपराध है। वहीं छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में नए आपराधिक कानून “भारतीय न्याय संहिता 2023” के तहत पहली एफआईआर दर्ज की गई है.

मिली जानकारी के अनुसार, रेंगाखार गांव के संगम चौक के पास ट्रेक्टर के कागजात नहीं देने के नाम पर प्रार्थी इतवारी पंचेश्वर से गोलू ठाकरे ने गाली गलौच और मारपीट की. घटना की शिकायत के बाद रेंगाखार पुलिस ने नए कानून के तहत गोलू ठाकरे के विरुद्ध धारा 296, 351(ख) के तहत मामला दर्ज किया है.

एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि रात 12.5 मिनट में हमारे पास सूचना आई की एक ट्रेक्टर के मालिक के साथ कागजात को लेकर लड़ाई झगड़ा और धमकी दी जा रही है. नए कानून के तहत फोन पर सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और 12.30 बजे आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 296 और 351(2) के तहत एफआईआर दर्ज किया गया है. उन्होंने कहा कि संभवतः देश में पहला एफआईआर नए कानून के अंतर्गत हुआ है.

तीनों नए कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) हैं. ये कानून ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता (IPC), इंडियन एविडेंस एक्ट और दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की जगह लेंगे. तीनों नए कानूनों को पिछले साल मानसून सत्र में लाया गया था और 21 सितंबर को संसद से इसे मंजूरी मिली. इसके बाद 25 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस पर मुहर लगा दिया था.

जानिए नई भारतीय न्याय संहिता के बारे में

  • भारतीय न्‍याय संह‍िता में यह तय होगा क‍ि कौन सा कृत्‍य अपराध है और उसके ल‍िए क्‍या सजा होगी. आईपीसी कानून में 511 धाराएं थीं जबक‍ि नए बीएनएस में 358 धाराएं होंगी. नए कानून में 21 नए अपराधों को भी सम्‍मलित क‍िया गया है.
  • सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं, जबकि भारतीय नागर‍िक सुरक्षा संह‍िता (बीएनएसएस) में 531 धाराएं होंगी. नए कानून में सीआरपीसी की 177 धाराओं को बदला गया है और 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं. नए कानून को लाते हुए 14 धाराएं समाप्‍त भी गई हैं. ग‍िरफ्तारी, जांच और मुकद्दमा चलाने आद‍ि की प्रक्र‍िया सीआरपीसी में होती है.
  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत 170 धाराएं होंगी, जबक‍ि अभी तक इसमें 166 धाराएं हैं. मुकद्दमे के सबूतों को कैसे साबित क‍िया जाएगा, बयान कैसे दर्ज होंगे, यह सब अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत 170 धाराओं के तहत ही होगा. नए कानून लाने में 24 घाराओं में बदलाव क‍िया गया है और 2 नई धाराएं भी साक्ष्‍य अध‍िन‍ियम में जोड़ी गई हैं. नए कानून में पुरानी 6 धाराओं को समाप्‍त भी किया गया है.
  • आतंकवाद, मॉब लींच‍िंग और राष्‍ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों के ल‍िए सजा को और सख्‍त बनाया गया.
  • नए कानून में 23 अपराधों में अन‍िवार्य न्‍यूनतम सजा के प्रावधान को भी शामि‍ल क‍िया गया है. 6 तरह के अपराधों में कम्‍युन‍िटी सर्व‍िस की सजा का प्रावधान भी क‍िया गया है. नये कानून में केस का निपटारा करने के ल‍िए टाइमलाइन होगी. इसमें फॉरेंसिक साइंस के इस्तेमाल का भी प्रावधान होगा.
  • राजद्रोह को अब अपराध नहीं माना जाएगा. नए कानून की धारा 150 के तहत एक नया अपराध जोड़ा गया है. इसके तहत भारत से अलग होने, पृथकावादी भावना रखने या भारत की एकता एवं संप्रभुता को खतरा पहुँचाने को अपराध बताया गया है. यह देशद्रोह का अपराध होगा.
  • नए कानूनों में मॉब लिंचिंग, यानी जब 5 या इससे ज्‍यादा लोगों का एक समूह मिलकर जाति या समुदाय आदि के आधार पर हत्या करता है, तो ग्रुप के हर सदस्य को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी.
  • नए कानूनों में नाबाल‍िग से दुष्‍कर्म करने के दोष‍ियों को अब फांसी की सजा दी जा सकेगी. गैंगरेप के मामलों में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा नाबालिग के साथ गैंगरेप को नए अपराध की श्रेणी में रखा गया है.
  • नए कानून में आतंकवादी कृत्य, जो पहले गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जैसे खास कानूनों का हिस्सा थे, इसे अब भारतीय न्याय संहिता में शामिल किया गया है. नए कानूनों के तहत जो भी शख्स देश को नुकसान पहुंचाने के लिए डायनामाइट या जहरीली गैस जैसे खतरनाक पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें आतंकवादी माना जाएगा.
  • पॉकेटमारी जैसे छोटे संगठित अपराधों पर भी नकेल कसने का प्रावधान नए कानूनों में क‍िया गया है. इस तरह के संगठित अपराधों से निपटने के लिए राज्यों के अपने कानून थे.

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