मेयर-विधायक को बायपास कर बुलाई गई थी पार्षदों की बैठक: वैशालीनगर को निगम को नया निगम बनाने के प्रस्ताव के बाद पार्षदों की पेशी, अब बदल गए सबके सुर

यशवंत साहू@ भिलाई। वैशालीनगर क्षेत्र को अलग से निगम बनाए जाने की मांग के बाद बवाल हो गया है। जिन पार्षदों ने कल इस मांग पत्र पर हस्ताक्षर किया था, आज बुधवार सुबह उन सबकी पेशी हो गई। पेशी मेयर नीरज पाल और विधायक देवेंद्र यादव के सामने हुई। सेक्टर-5 में आज सभी पार्षदों को बुलाया गया। उनसे कहा गया कि, इस तरह अलग निगम की मांग का तरीका सही नहीं है। इस संबंध में उच्च नेताओं को विश्वास में तो लेना चाहिए था।
हालांकि, जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्राकर के घर पर हुई बैठक को अब अलग रूप देने की कोशिश शुरू हो गई है। बवाल के उस बैठक को कहा जा रहा है कि वहां विकास कार्यों पर चर्चा हुई। समस्याओं पर बात हुई। डैमेज कंट्रोल करने के लिए यह तक कह दिया गया कि उस बैठक में मेयर नीरज पाल भी शामिल होने वाले थे। आज पार्षदों की ओर से एक प्रेस रिलीज जारी किया जा रहा है कि जिसमें कहा जा रहा है कि वैशालीनगर को अलग से निगम बनाने की मांग जैसी कोई बात नहीं है। विकास पर चर्चा हुई है।

कल क्या-कुछ हुआ था, यह भी जानिए
खैरागढ़ विधानसभा में नए जिले का ऐलान मास्टरस्ट्रोक था। उस मास्टरस्ट्रोक से कांग्रेस जीत दर्ज की। अब उसी पैटर्न का नया मास्टरस्ट्रोक मारने की तैयारी कांग्रेस वैशालीनगर विधानसभा के लिए कर रही है। जी हां, अभी इसकी सुगबुगाहट तक सीमित थी, अब कागजों में बात आ गई है। वैशालीनगर विधानसभा के वार्डों को मिलाकर नया नगर निगम बनाने की। नाम होगा वैशालीनगर निगम। आज इसके लिए कांग्रेस के ही पार्षदों ने कवायद शुरू कर दी है। यानि कि मांग उठ गई है।
कुछ लोग अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा के लिए 70 वार्डों वाले भिलाई निगम को अलग कर वैशालीनगर को अलग से निगम बनाने की मांग कर रहे हैं। ये मांग करने वाले कोई और नहीं, भिलाई निगम के कांग्रेसी पार्षद ( इनमें जोन अध्यक्ष और एमआईसी मेंबर) हैं। दरअसल, मंगलवार शाम से एक लेटर वायरल हो रहा है।

लेटर में बताया जा रहा है कि, कांग्रेसी पार्षदों ने कांग्रेस जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्राकर के नाम पर एक ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन में कहा गया है कि पटरीपार वैशालीनगर विधानसभा के वार्डों में विकास नहीं हो रहा है। इसलिए अलग से निगम बनाने की जरूरत है।

इस लेटर में कांग्रेसी पार्षद समेत कई पूर्व पार्षदों के सिग्नेचर हैं। यह लेटर वायरल हो गया। मामला मेयर नीरज पाल, विधायक देवेंद्र यादव तक पहुंच गई। दोनों इस बात से खफा है। कांग्रेसी पार्षदों के इस रवैय्ये से दोनों नेता काफी खफा है। वहीं यह बैठक कांग्रेस जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्राकर के घर पर हुई है। ऐसे में ये कहा जा रहा है कि इसके पीछे मुकेश का हाथ हो सकता है। फिलहाल कांग्रेसी पार्षदों की इस मांग ने कई सवालों को जन्म दे दिया है। वहीं कांग्रेस में चल रहे अंदरूनी घमासान को भी उजागर कर दिया है।

बैठक में क्या-कुछ हुआ, यह भी जानिए…
मंगलवार को एक बड़ा व नाटकीय घटनाक्रम ने शहर की कांग्रेसी राजनीति में हलचल मचा दी है। पटरीपार के निर्वाचित कांग्रेसी पार्षद अचानक पृथक वैशाली नगर निगम के गठन की मांग को लेकर लामबंद हो गए। इतना ही नहीं सभी कांग्रेस के भिलाई शहर जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्राकर के निवास पहुंच गए और अपनी इस मांग को लेकर ज्ञापन भी सौंप आए।

अपने ज्ञापन में पार्षदों ने अपने ज्ञापन में कहा है कि वर्तमान में दो विधानसभा (भिलाई एवं वैशाली नगर) के अंतर्गत भिलाई नगर पालिक निगम है। भिलाई नगर निगम में कुल मतदाता लगभग 4,06,833 है जिसमें वैशाली नगर विधानसभा में 2,43,000 एवं मिलाई विधानसभा में 1,63,000 है।

वर्तमान में दुर्ग जिला में दुर्ग नगर पालिक निगम में लगभग 1,85,000 एवं रिसाली नगर पालिक निगम में लगभग 1,00,000 मतदाता हैं। इस दृष्टि से दुर्ग जिले में वर्तमान में वैशाली नगर विधानसभा में सघन व सर्वाधिक मतदाता हैं। इस विधानसभा में अत्यधिक विकास की जरूरत को देखते हुए वैशाली नगर को पृथक नया नगर पालिक निगम बनाया जाना चाहिए।

ये पार्षद हुए हैं लामबंद
जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्राकर के निवास में मंगलवार शाम को बैठक हुई। इस बैठक में पार्षदों को बुलाने की जिम्मेदारी जोन अध्यक्ष जलांधर सिंह और पार्षद पति सुमन सिन्हा को दी गई थी। जब मेयर नीरज पाल ने इस संबंध में पार्षदों से जानकारी मांगी तो अधिकांश पार्षदों ने इन दोनों ही पार्षदों के नाम बताए कि इन्होंने ही बैठक में बुलाया था।

जिलाध्यक्ष के घर में हुई बैठक में सभापति गिरवर बंटी साहू व 3 महापौर परिषद के सदस्य सहित 13 वर्तमान व एक पूर्व पार्षद शामिल हुए। इनमें एल्डरमैन रहे संतोष नाथ सिंह, एमआईसी मेंबर मन्नान गफ्फार, पार्षद अंजु सुमन सिन्हा, एमआईसी मेंबर केशव चौबे, पार्षद रविशंकर कुर्रे, एमआईसी मेंबर चंद्रशेखर गवई, पार्षद पुत्र व पूर्व एल्डरमैन अरविंद राय, छाया पार्षद धर्मेंद्र वैष्णव, एमआईसी मेंबर लालचंद वर्मा, हाउसिंग बोर्ड पार्षद नितीश यादव, एमआईसी मेंबर नेहा साहू, पार्षद हरिओम तिवारी, उपसभापति इंजीनियर सलमान और पूर्व पार्षद डॉ. दिवाकर भारती शामिल हैं।

पटरीपार के प्रति भेदभाव से नाराज हैं पार्षद
पत्रिका ने यह भी लिखा है कि, पार्टी संगठन द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई के भय से इन पार्षदों ने नाम न छापने की शर्त पर अपनी नाराजगी की वजह बताई। कहा कि पटरीपार और टाउनशिप में विकास कार्यों में कितना अंतर है साफ दिख रहा है।

पटरीपार की लगातार उपेक्षा की जा रही है। जबकि विकास कार्यों की जरूरत सबसे अधिक अभी पटरीपार को है। टाउनशिप के लिए तो भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन स्वयं बैठा है, फिर वहां पैसा फूंकने की क्या जरूरत है। बीते कार्यकाल में टाउनशिप में खूब पैसा खर्च किया गया है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम लोग जनता के सामने किस मुंह से जाएंगे।

कई पार्षद आनन-फानन में पहुंचे
इस बैठक की सूचना सुबह से गई। पार्षदों को बताया गया कि वैशालीनगर विकास समिति की बैठक होगी। जिसमें वैशालीनगर विधानसभा के वार्डों के विकास के संबंध में चर्चा होगी। इसकी सूचना मेयर नीरज पाल और विधायक देवेंद्र यादव को नहीं थी। किसी भी पार्षद ने उन्हें इक्तेला भी नहीं की। सो वैशालीनगर विधानसभा के सभी पार्षदों को बुलाने की जिम्मेदारी जेडी को दी गई। शाम को बैठक हुई। जिसमें कई पार्षद देरी से पहुंचे। इनमें इंजीनियर सलमान से लेकर कई पार्षद शामिल है, जो आखिरी वक्त में पहुंचे और इसका हिस्सा बने। पार्षद नेहा साहू ने किसी बात को लेकर अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई। जबकि, सभापति से लेकर अन्य पार्षद शामिल थे। इस बैठक से एमआईसी मेंबर संदीप निरंकारी, आदित्य सिंह और अभिषेक मिश्रा ने दूरी बनाई थी। बताया गया कि, इन्हें सूचना दी गई थी लेकिन पहुंचे नहीं।

विधानसभा के लिए दावेदारी कर रहे हैं मुकेश

आपको यह भी बताना लाजिमी है कि मुकेश चंद्राकर वैशालीनगर विधानसभा के लिए दावेदारी कर रहे हैं। कहीं ये विधानसभा चुनाव के मद्देनजर टर्निंग प्वाइंट तो नहीं? चूंकि, कांग्रेस इस सीट को हासिल करना चाहती है। इसके लिए वैशालीनगर निगम बड़ा दाव हो सकता है। अब देखने वाली बात ये है कि ये मांग दूर तलक जाती है या यहीं शांत हो जाता है। ये तो वक्त ही बताएगा।


विकास के साथ-साथ कई नुकसान भी होंगे
ये बात सच है कि पटरीपार के वार्डों में विकास की दरकार लंबे समय से है। पार्षदों का तर्क है कि नया निगम बन जाने से क्षेत्र का विकास तेजी से होगा। उदाहरण भी पेश किया गया रिसाली निगम का। लेकिन इसके नुकसान भी बहुत है। इसलिए बड़े नेता अलग से वैशालीनगर को निगम बनाने से परहेज कर रहे हैं। इससे भिलाई की शान भी खो सकती है। एक ही शहर में अलग-अलग निगम से कई मायनों में नुकसान भी झेलना पड़ता है।

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