नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को टेरर फंडिंग केस (Terror Funding Case) में दिल्ली की कोर्ट ने बुधवार को उम्रकैद की सजा सुनाई है. नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए ने कोर्ट से यासीन मलिक के लिए फांसी की मांग की थी.
यासीन मलिक (Yasin Malik latest News) को एनआईए की कोर्ट ने 19 मई को दोषी ठहराया था. बुधवार को इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. इससे पहले यासीन मलिक (Yasin Malik News) की ओर से आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग करने की बात स्वीकार की गई थी. मलिक के ऊपर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (UAPA) के अंतर्गत भी आरोप तय किए गए थे.
समाचार एजेंसी एएनआई ने एडवोकेट उमेश शर्मा के हवाले से कहा है कि कोर्ट ने यासीन मलिक को दो मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई हैं. इसके साथ ही 10 अलग अपराधों में 10 साल की भी सजा सुनाई है. साथ ही यासीन मलिक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.
‘मैं किसी चीज के लिए भीख नहीं मांगूंगा’
वहीं एक वकील ने जानकारी दी है कि सुनवाई के दौरान यासीन मलिक ने कोर्ट में कहा है, ‘मैं किसी चीज के लिए भीख नहीं मांगूंगा. कोर्ट को जो सजा देनी है, वो दे दे. अगर भारतीय खुफिया एजेंसियां ये साबित कर दें कि मैं पिछले 28 साल में किसी भी आतंकी गतिविधि या हिंसा में शामिल रहा हूं तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा. मैं फांसी को स्वीकार कर लूंगा.’ वही सजा सुनाने से पहले कोर्ट परिसर और बाहर कड़ी सुरक्षा की गई थी. साथ ही जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में स्थित यासीन मलिक के घर के बाहर उसके समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया. इसके बाद पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े.
#WATCH | Yasin Malik has been awarded life imprisonment under section 17 UAPA, and a fine of Rs 10 lakhs, sentenced to 10 years of imprisonment under 120B & a fine of Rs 10,000 and other sections of IPC and UAPA…: Advocate Akhand Pratap Singh, court-appointed amicus pic.twitter.com/rn3HDKp729
— ANI (@ANI) May 25, 2022
19 मई को ठहराया गया था दोषी
यासीन मलिक को 19 मई को एनआईए कोर्ट की ओर से मामले में दोषी ठहराया गया था. एनआईए ने जांच के बाद कहा था कि लश्कर-ए तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट और जैश-ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर में लोगों और सुरक्षाबलों पर हमला करके शांति बिगाड़ते हैं. एनआईए ने यह भी आरोप लगाया था कि 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को राजनीतिक मदद देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का भी गठन किया गया था.
आतंक के लिए फंडिंग करने का है दोष
एनआईए ने कोर्ट में यह भी जानकारी दी कि हुर्रियत को गठन जम्मू कश्मीर में अलगाववाद और आतंकी घटनाओं की फंडिंग करने के लिए किया जाता रहा है. इसके तहत जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं को अंजाम दिया गया. सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी की गई. स्कूलों को जलाया गया, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और भारत के खिलाफ युद्ध को छेड़ा गया. इन जानकारी के बाद गृह मंत्रालय की ओर से एनआईए को केस दर्ज करने के लिए कहा गया था.
अलगाववादी नेता लोगों को भड़का रहे: NIA
एनआईए ने यह भी जानकारी दी थी कि जांच के दौरान यह पाया गया है कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और अन्य अलगाववादी नेता आम जनता को भड़का रहे हैं. वे खासकर युवाओं को हिंसा करने और सुरक्षाबलों के ऊपर पत्थरबाजी के लिए भड़का रहे थे. यह सब भारत सरकार के खिलाफ जम्मू कश्मीर के लोगों को भड़काने की साजिश के तहत किया जा रहा था.