स्मृति शेष: भिलाई में कोसानगर समेत अन्य झुग्गी बस्तियों को निरंकारी ने बसाया, एक फोन पर हो जाता था काम, छोटे से छोटे कार्यक्रम में होते शामिल…KH मेमोरियल के चेयरमैन KK झा और शकुंतला स्कूल के चेयरमैन संजय ओझा शेयर कर रहे उनसे जुड़ी यादें

भिलाई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक भजन सिंह निरंकारी का आज दोपहर 1 बजे अंतिम संस्कार होगा। कल दोपहर-शाम को उनका निधन हो गया था। आज अंतिम संस्कार में दुर्ग-भिलाई समेत प्रदेशभर के लोग शामिल होंगे। रामनगर मुक्तिधाम के लिए दोपहर 1 बजे अंतिम यात्रा निकलेगी।

निरंकारी को याद करते वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और उद्योगपति केके झा कहते हैं, वो हमारे अभिभावक के रूप में थे। उनका दुनिया छोड़कर चला जाना अपूर्णिय क्षति है। इस क्षति की भरपाई हम सब कभी नहीं कर पाएंगे। मैं उनके साथ बेहद नजदीकी से जुड़ा रहा। मुझे आज भी याद है कि, जब निरंकारी जी साडा चेयरमैन थे। तब व्यवस्थापन चल रहा था। घासीदास नगर, फौजी नगर, नंदिनी रोड और हाउसिंग बोर्ड से लगे झुग्गी बस्तियों को भी व्यवस्थापन किया जाना था।

हजारों लोग प्रभावित होने वाले थे। मैंने निरंकारी जी से चर्चा की। झुग्गी बस्तियों को नहीं तोड़ने का अनुरोध और निवेदन किया। मेरे निवेदन को सहर्ष स्वीकार किया और गरीबों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए उन्होंने फैसला किया कि कोसानगर, नंदिनी रोड, फौजीनगर और घासीदास नगर में झुग्गी बस्तियों को नहीं तोड़ा जाएगा। निरंकारी जी ने कहा था कि, झा जी ने जो बोल दिया है, वही होगा। उन्होंने साडा के अधिकारियों को निर्देशित किया और झुग्गी बस्तियां टूटने से बच गई।

केके झा बताते हैं कि, निरंकारी जी वे शख्श थे जो लोगों से कहते थे कि समस्या बताने के लिए मेरे पास आने की जरूरत नहीं है। एक फोन पर पूरा काम हो जाता था। अपने कामों का फॉलोअप भी बढ़िया लेते थे। उनकी कमी हमेशा खलेगी। इसकी भरपाई कोई नहीं कर पाएगा। केके झा कहते हैं, उन्होंने कभी किसी राजनीतिक कार्यकर्ता को दबाया नहीं। हमेशा उत्साहित करते रहे। सबको साथ लेकर चलते थे।

निकाय चुनाव में घर आए थे। घर आकर कहा था कि संदीप निरंकारी के लिए काम करना है। मैंने कोसानाला में एक मीटिंग रखवाया था। संदीप निरंकारी को भारी मतों से विजयी बनाने में सबने योगदान दिया।

निरंकारी जी को याद करते हुए शकुंतला ग्रुप ऑफ एजुकेशन के चेयरमैन संजय ओझा बताते हैं- मैं शनिवार को दोपहर निरंकारी जी से मुलाकात किया। मुझसे बात भी किए। बोल रहे थे कि कुछ नहीं हुआ है। ठीक होकर घर चलेंगे। मैं हॉस्पिटल परिसर में ही था कि खबर आ गई कि वे नहीं रहे। उनकी कमी हमेशा खलेगी।

निरंकारी जी मेरे राजनीतिक गुरू थे। मैं मोहल्ला समिति का अध्यक्ष बना था। सुपेला की बात है। तब वे मेरे शपथ ग्रहण समारोह में आए थे। लोगों की भीड़ और नेतृत्व क्षमता देखकर काफी उत्साहित हुए थे निरंकारी जी। फिर निरंकारी जी मुझे कांग्रेस संगठन में लेकर आए। उनके आशीर्वाद से कई महत्वपूर्ण पदों पर रहा।

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