भिलाई। भिलाई में नुआखाई महापर्व के अवसर पर भव्य शोभा यात्रा 17 सितंबर 2023 रविवार को दोपहर 3:30 बजे सेक्टर-1 मां शारदा मंदिर से निकलेगी। रात के करीब 10.30 बजे सेक्टर-9 चौक में समापन होगा। इस आयोजन के आयोजक कौशल उत्कल युवा शक्ति जन कल्याण समाज भिलाई-दुर्ग है।

नुआखाई पर कुल देवी देवताओं को अर्पित किया जाता है धान
धान की फसल कटाई के लिए तैयार नहीं होने के बावजूद भाद्रव के महीने में त्योहार मनाने का कारण और एकमात्र विचार यह है कि किसी पक्षी के चोंच मारने से पहले ही कुलदेवी-देवताओं को धान की छोटी अवधि की किस्म का दाना अर्पित किया जाए। नुआखाई उत्सव के दिन नए कटे धान का चावल भी क्षेत्र के प्रत्येक क्षेत्र के कुलदेवी- देवताओं को एक निर्धारित शुभलग्न में अर्पित किया जाता है। संबलपुर में देवी समलेश्वरी, बलांगीर में देवी पटनेस्वरी, सोनपुर में देवी सुरेश्वरी, सुंदरगढ़ में देवी शेखरवासिनी और कालाहांडी में देवी मणिकेश्वरी को कुलदेवी- देवताओं के रुप में पूजा की जाती है।

बनते है स्पेशल पारंपरिक पकवान
अपने गांव- शहर से दूर रहने वाले लोग भी अपने प्रियजनों के साथ त्योहार मनाने के लिए अपने मूल स्थानों को लौट आते हैं। दिन में परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। त्योहार के मौके पर घरों में खास पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं।’ नुआखाई जुहार ‘ भी सदियों पुराने इस त्योहार का एक अभिन्न अंग है। यह मित्रों, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों के साथ बधाई का आदान-प्रदान करना है। बड़ों को ‘ नुआखाई जुहर ‘ की शुभकामनाएं दी जाती हैं और वे लंबी उम्र, सुख और समृद्धि के लिए आशीर्वाद देते हैं।

शाम को होते है लोक नृत्य और गीतों के कार्यक्रम
शाम को लोक नृत्य और गीतों के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और लोग संबलपुरी रसरकेली, डालखाई, मायलाझड, चुटकुचुटा, सजनी, नचनिया और बजनिया की धुनों पर अपना नृत्य करते हैं। इससे पहले, अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग दिनों में नुआखाई मनाई जाती थी। लेकिन 1992 से यह पूरे पश्चिम ओडिशा में एक ही दिन मनाया जाता है। जैसा असम के लिए बिहू, पंजाब के लिए बैसाखी और केरल के लिए ओणम है, वैसे ही पश्चिम ओडिशा के लिए नुआखाई का लोकपर्व है।
नोट: नुआखाई के बारें में डिटेल जागरण से लिया गया है।

