दुर्ग। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की केन्द्रीय कार्यसमिति बैठक का शुभारंभ छत्तीसगढ़ के दुर्ग में आज शुक्रवार मां सरस्वती व स्वामी विवेकानंद जी के चित्र के सामने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजशरण शाही, राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल तथा राष्ट्रीय संगठन मंत्री,आशीष चौहान ने दीप प्रज्जवलित कर किया। केन्द्रीय कार्यसमिति बैठक शुरू होने से पूर्व उपस्थित कार्यकर्ताओं ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय संगठन मंत्री व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सह-सरकार्यवाह स्वर्गीय मदनदास देवी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी आत्मा की सद्गति हेतु प्रार्थना की।
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इस बैठक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रमुख कार्यकर्ता शिक्षा व समाज से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा कर आगे की योजना तय करेंगे। अभाविप केन्द्रीय कार्यसमिति बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से भारतीयता केन्द्रित विचारों व मूल्यों की शिक्षा क्षेत्र में स्थापना, फीस वृद्धि पर नियंत्रण, युवा उद्यमिता के लिए अवसर, लोक परंपराओं व संस्कृति विकास में युवा भागीदारी जैसे विषयों पर उपस्थित प्रतिनिधि अपने विचार रख रहे हैं, इन विचारों के आधार पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की विभिन्न इकाइयों द्वारा कई प्रकार की गतिविधियों की जाएंगी।
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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजशरण शाही ने कहा कि,” माता कौशल्या की जन्मभूमि पर हो रही अभाविप की केन्द्रीय कार्यसमिति बैठक में शिक्षा क्षेत्र में व्यापक परिवर्तनों पर सकारात्मक संवाद हो रहा है। हाल ही में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की तीसरी वर्षगांठ पूरे देश ने मनाया, यह शिक्षा नीति भारत केन्द्रित शिक्षा व्यवस्था का संकल्प पत्र है। भारतीय ज्ञान परंपरा के शिक्षा व्यवस्था में उचित समावेशन, भारतीय भाषाओं का संवर्द्धन, भारतीय मूल्यों के शिक्षा व्यवस्था में समावेश आदि के साथ शिक्षा क्षेत्र को रोजगार से जोड़ने के लिए शीघ्रता से प्रयास होने चाहिए, जिससे इक्कीसवीं सदी में भारत के वैश्विक नेतृत्व का संकल्प पूर्ण हो सके। पूर्व में मूल्य निर्माण की जो प्रक्रिया पीछे छूट रही थी,उसकी पूर्ति राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से हो सकती है। आज शिक्षा क्षेत्र में नए प्रयोग हो रहे हैं, आशा है ये प्रयास सकारात्मक परिवर्तन में परिवर्तित होंगे। शिक्षा को समावेशी,सुलभ, गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए प्रयास करने होंगे। आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के नाम पर कुछ शैक्षणिक संस्थानों में फीस वृद्धि की जा रही है, यह पूरी तरह से अनुचित है। फीस वृद्धि नहीं होनी चाहिए, जिससे शिक्षा सबके लिए सर्वसुलभ हो ।”
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