भिलाई निगम में डेटा लीक होने का खतरा: ठेकेदारों के ऑपरेटर के भरोसे चल रहा काम…अपने लोगों को काम देने अफसरों पर गंभीर आरोप, भाजपा पार्षद ने की सरकार से शिकायत

भिलाई। नगर निगम भिलाई का डेटा सेफ है…ये आप मान नहीं सकते। नगर निगम भिलाई के कई संवेदनशील मामलों की जानकारी कभी भी लीक हो सकती है। क्योंकि जिन कर्मियों और ऑपरेटरों के भरोसे ये डेटा है, वे किसी न किसी ठेकेदार के अंडर के हैं। यानि प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से इन्हें रखा गया है। ऐसे में डेटा लीक होने का खतरा बना हुआ है। ये आशंका नगर निगम भिलाई के तीन बार के पार्षद पीयूष मिश्रा ने जताई है। पीयूष ने आज निगम आयुक्त को लेटर लिखा है। जिसमें उन्होंने प्लेसमेंट एजेंसी की जगह नगर निगम में कार्यरत कर्मियों को निगम के माध्यम से सीधे पेमेंट करने की मांग की है। क्योंकि प्लेसमेंट एजेंसी तय करने में धांधली हो रही है। धांधली उसके टेंडर सिस्टम में हो रही है। ये आरोपी पीयूष ने लगाया है।

क्या आरोप है पीयूष का, यह भी जानिए
भाजपा पार्षद पार्षद पीयूष मिश्रा ने सचिव नगरीय प्रशासन विभाग को पत्र लिख कर शिकायत की है कि नगर पालिक निगम भिलाई द्वारा 43 कंप्यूटर ऑपरेटर कर्मचारी ( अति उच्च कुशल ) के लिए 1 वर्ष की निविदा आमंत्रित की गई जिसकी लागत 86 लाख रु निर्धारित की गई है। पिछले वर्ष कॉल मी सर्विस एजेंसी के द्वारा निर्धारित लागत राशि पर 10% से अधिक में उक्त कार अभी तक किया जा रहा है। इस वर्ष भी कंप्यूटर ऑपरेटर कर्मचारियों के लिए निविदा आमंत्रित की गई है। जिसके लिए निर्धारित राशि 86 लाख रुपए तय है जिसका टेंडर क्रमांक 9500 2 दिनांक 01/04/ 2021 है। संबंधित निविदा में चार निविदा कारों ने भाग लिया जो निम्नानुसार है।
( 1 ) कॉल मी सर्विस (2) बालाजी बिल्डर्स (3) शंभू कंस्ट्रक्शन (4) विराट सिक्योरिटी सर्विस इनमें से शंभू कंस्ट्रक्शन व विराट सिक्योरिटी सर्विस को अनुभव ना होने के कारण निविदा से बाहर कर दिया गया तथा बालाजी बिल्डर्स के द्वारा निविदा के नियम शर्तों के दस्तावेज पर दस्तखत ना करने के कारण उसे भी निविदा से बाहर कर दिया गया। जिससे कॉल मी सर्विस एकल निविदा में होने के कारण निविदा को पुनः करने के लिए निर्णय किया गया। दूसरी बार निविदा आमंत्रित करने पर 5 लोगों के द्वारा उक्त निविदा में भाग लिया गया जो इस प्रकार हैं 1. कॉल मी सर्विस 2. मोहम्मद आसिफ 3. शंभू कंस्ट्रक्शन 4. बालाजी बिल्डर 5. विराट सिक्योरिटी सर्विस इसमें से मोहम्मद आसिफ शंभू कंस्ट्रक्शन और विराट सिक्योरिटी सर्विस को अनुभव ना होने के कारण उक्त निविदा से बाहर कर दिया गया। कॉल मी सर्विस के ऑफलाइन लिफाफे में एफडीआर ना होने का कारण बताकर उसे भी निविदा से बाहर कर दिया गया जबकि कॉल मी सर्विस के ऑनलाइन निविदा में सभी डॉक्यूमेंट एफडीआर सहित जमा किए गए थे। संबंधित निविदा में दो-दो बार निविदा होने पर भी निविदा कारों को यह बोल कर के निविदा में भाग न लेने देना कि उनके पास अनुभव नहीं है। यह कहीं न कहीं निविदा को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है। क्योंकि कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर 5 वर्षों से लगातार वही कर्मचारी काम कर रहे हैं केवल एजेंसी बदल दी जाती है। इसके अलावा बालाजी बिल्डर को जो निविदा देने की तैयारी की जा रही है। उसकी दर वर्तमान दरों से अत्यधिक है जो इस प्रकार उल्लेखित है एक कंप्यूटर कर्मचारी के पीछे जीएसटी ई पीएफ और ईएसआई मिलाकर ₹16754 निर्धारित दर होता है। जिसमें 43 कर्मचारियों का एक माह का खर्च 7 लाख 20000 होता है किंतु अभी वर्तमान में बालाजी बिल्डर को निविदा देने की तैयारी की जा रही है उसकी दरों के अनुसार एक कंप्यूटर ऑपरेटर के पीछे ₹20980 प्रति व्यक्ति कि दर दी गई है।
जिसके अनुसार ₹4220 अधिक है जिससे प्रतिमा 1 लाख 81 हजार ₹460 अधिक आ रहे हैं जो वर्ष में 21 लाख 77520 रुपए अधिक खर्च आएगा इससे यह स्पष्ट होता है कि कहीं ना कहीं अधिकारियों के द्वारा निविदा की प्रक्रिया सहित दरों को बढ़ाने का षड्यंत्र भ्रष्टाचार करने के लिए किया जा रहा है जिससे निगम को गंभीर आर्थिक क्षति पहुंचेगी।
अतः आपसे निवेदन है कि उक्त निविदा को निरस्त कर संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही करने का कष्ट करें। जिससे नगर निगम भिलाई को गंभीर आर्थिक क्षति पहुंचने से बचाया जा सके । साथ ही पीयूष मिश्रा ने आयुक्त से मांग करते हुए कहा है कि, कंप्यूटर ऑपरेटर को प्रदाय करने का कार्य ठेकेदारों से ना कराया जाए क्योंकि नगर निगम के अंतर्गत कई गोपनीय फाइलें तथा ऐसी जानकारियां रहती है जो सार्वजनिक नहीं होनी चाहिए। किंतु कुछ लेकर दोनों द्वारा इन कंप्यूटर ऑपरेटरों को कार्य पर रखकर गोपनीय जानकारियां निकालनी जाती हैं जो अवैधानिक है। अतः इन कंप्यूटर ऑपरेटरों को नगर निगम सीधे तौर पर कार्य पर रखें। भले ही इसके लिए सामान्य सभा से अनुमति लेने की आवश्यकता क्यों ना पड़े नगर निगम की गोपनीयता भंग होने से बचेगी।

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