बड़ी खबर: छत्तीसगढ़ के स्वास्थ मंत्री सिंहदेव पर भाजपा नेता ने लगाया 250 करोड़ कि शासकीय जमीन बेचने का आरोप… पूर्व मंत्री चंद्राकर ने किया शायराना ट्वीट… इधर टीएस के वकील ने पार्षद को थमाई नोटिस, पढ़िए पूरी खबर

अंबिकापुर। अंबिकापुर नगर पालिका के पार्षद और भाजपा नेता ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ मंत्री सिंहदेव पर गंभीर आरोप लगाए है। प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए दुबे ने आरोप लगाया है की मंत्री जी ने लगभग 250 करोड़ मूल्य कि जमीन अवेध तरीके से अपने नाम करके बेच दिया गया है।

आलोक दुबे ने साक्ष्य के तौर पर तमाम दस्तावेज संलग्न करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखकर इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कार्रवाई के लिए निर्देशित करने को कहा है। पत्र में आशंका जताई गई है कि तमाम साक्ष्य होते हुए भी भूपेश सरकार कार्रवाई नही करेगी क्योंकि टी एस सिंहदेव सरकार में कद्दावर मंत्री हैं और वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी हैं। फिलहाल इस पत्र ने सियासी गलियारों में सनसनी मचा दी है।

इस पर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने ट्वीट किया है…उसूलों पर जहां आंच आए, टकराना जरूरी है, जो जिंदा हों तो जिंदा नजर आना जरूरी है…महराजा साहब….अब आ ही जाइये। उधर टीएस के वकील संतोष सिंह ने इस मामले में भाजपा पार्षद को नोटिस भेजी है। भाजपा पार्षद ने राहुल गांधी को भेजे पत्र की प्रतिलिपि प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, चीफ सिकरेट्री, संभागायुक्त, कलेक्टर, एसपी को भेजी है।

पार्षद ने पत्र में रियासतों के विलीनीकरण का हवाला देते हुए कहा है कि सरगुजा रियासत के विलय पर भी 25 मार्च 1948 को सरगुजा के तत्कालीन महाराज और मध्य प्रान्त की राजधानी नागपुर में मध्य प्रांत के तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल के बीच समझौता हुआ था। इस ऐतिहासिक समझौते में तय हुआ था कि कौन सी जमीन सरगुजा परिवार की निजी जमीन होगी और किस जमीन पर राज्य सरकार का अधिकार होगा।

इस दस्तावेज में किसी तरह का बदलाव नियम के प्रतिकूल था। आरोप लगाया गया है कि बाद में छग के मंत्री देव और उनके पिता स्वर्गीय मदनेश्वर शरण सिंह जो मध्यप्रदेश सरकार में मुख्य सचिव भी रहे थे इन्होंने अपने रसूख का इस्तेमाल कर दस्तावेजों में हेरफेर कराया।

आरोप के मुताबिक भारत सरकार के समझौते से इतर राज्य में राजनैतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर जो जमीन राज्य सरकार के अधीन हो गई थी उसे पुनः सरगुजा राज परिवार के नाम करा लिया गया। पत्र में आरोप लगाया गया है कि अपने नाम कराई गई करीब 250 करोड़ रुपये की जमीन का विक्रय भी परिवार द्वारा कर दिया गया। पार्षद ने साक्ष्य के तौर पर कई दस्तावेज देते हुए आरोप लगाया है कि खसरा खतौनी में भी हेरफेर किया गया है और आपराधिक षड्यंत्र के तहत नामांतरण की जानकारी को गायब कर दिया गया है। कई पन्ने फटे भी पाए गए हैं जो गंभीर साजिश की ओर इशारा करते हैं।

आरोप के मुताबिक सैकड़ो एकड़ जमीन जो अभिलेख में कथित हेरफेर के बाद टी एस के परिवार द्वारा बेची गई वह शासकीय जमीन के तौर पर दर्ज है। शिक्षा विभाग के नाम दर्ज जमीन, तालाब और अन्य शासकीय जमीन पर भी कब्जा कर लिया गया है। झूठे दस्तावेज के आधार पर क्षेत्र में कई अन्य लोगों पर जमीन देने के लिए दबाव बनाया गया।

पार्षद का कहना है कि सरगुजा में अभी भी राजपरिवार का दबदबा है इस वजह से इस हेरफेर को दबाने में टी एस सिंहदेव और उनका परिवार सफल रहा है। मामला संज्ञान में लाये जाने के बाद भी शासन के स्तर पर किसी स्तर पर कोई कार्रवाई नही हो रही है I

देखिए क्या है आरोप-