भिलाई। शिक्षा विभाग में अक्सर घोटाले की खबरें आम होती है। एक घोटाला ऐसा है जिसे सुनकर आप भी शिक्षा विभाग के मातहत अधिकारियों पर गुस्सा आ जाएगा। क्योंकि सरकारी खजाने को किस तरह से नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई है उसे आपको जानना भी जरूरी है। हम बात कर रहे हैं राजनांदगांव शिक्षा विभाग की। जहां बर्तन घोटाला हुआ है। जिसकी जांच अब होने वाली है। कलेक्टर ने जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाई है। तीन सदस्यीय कमेटी अपनी रिपोर्ट जल्द से जल्द सबमिट करेगी।
पूरा मामला क्या है, जानिए…
शिक्षा विभाग में मध्याह्न भोजन योजना अंतर्गत वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 में बर्तन खरीदी, वितरण, भुगतान में अनिमियतता एवं भ्रष्टाचार की जांच की लगातार शिकायत हो रही थी और छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर द्वारा दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत कर तत्कालिन जिला शिक्षा अधिकारी हेतराम सोम के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करने की मांग किया गया था। इसे लेकर कलेक्टर ने एक उच्च स्तरीय तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया है। जिसमें संयुक्त कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला कोषालय अधिकारी और जिला व्यापार एंव उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक को सदस्य बनाया गया है। इस टीम को 15 दिवस के भीतर तथ्यात्मक जांच प्रतिवेदन अभिमत सहित कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर का कहना है कि तत्कालिन जिला शिक्षा अधिकारी हेतराम सोम के द्वारा कोरोना काल सत्र 2019-20 और 2020-2021 में जब सरकारी स्कूल बंद थे, तो मघ्याह्न भोजन पकाने के लिए 2 करोड़ 34 लाख रूपये के बर्तनों (किचन डिवाईस) की खरीदी कर सप्लाई किया गया था, जो किचन डिवाईस खरीदी व वितरण किया गया वह निर्धारित मानको के अनुरूप नहीं था। गुणवत्ताहीन था, जिसे वापस कर निर्धारित मानको के अनुरूप सिप्लाई किया जाना था, लेकिन हेतराम सोम ने संबंधित कंपनी क्रिस्टल इंडिया इंडस्ट्रीज, महासमुंद और मनीधारी सेल्स कोर्पोरेशन रायपुर के साथ सांठगांठ कर उसी घटिया क्वालिटी के किचन डिवाईस को वितरण करा दिया गया और जिस कंपनी ने फर्जी गुणवत्ता प्रमाण पत्र दिया था, उसे सिर्फ कारण बताओ नोटिस जारी कर भुगतान कर दिया गया।
पॉल ने बताया कि बर्तन खरीदी, वितरण, भुगतान में हुई अनिमियतता के संबंध में तत्कालीन डीईओ हेतराम सोम ने प्रधानमंत्री कार्यालय, विधानसभा और कलेक्टर को मिथ्या जानकारी देकर गुमराह किया गया, जो गंभीर प्रवृत्ति का अपराध है, अब कलेक्टर ने उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन कर जांच कराया जा रहा है।