रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पशु क्रूरता रोकने के लिए बढ़िया पहल की गई है। रायपुर निगम द्वारा मुनादी की जा रही है कि, “आवश्यक सूचना: नगर निगम रायपुर द्वारा यह सूचित किया जाता है की आवारा पशुओं को मारना, पीटना, परेशान करना, भगा देना या उनके इलाके से उनको हटाना… पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के तहत दंडनीय अपराध है, आवारा पशुओं की नसबंदी और टीकाकरण के लिए निदान 1100 पर सूचित करें, धन्यवाद”।

इसी तरह रायपुर जिले के बिरगांव निगम में भी, “आम जनता को सूचित किया जाता है कि किसी भी पशु गाय, कुत्ते को पत्थर से ना मारें… नहीं तो उनके ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 5000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।” की मुनादी की जा रही है। जिले के दोनों नगर निगम क्षेत्र रायपुर और बिरगांव नगर निगम क्षेत्र में ये मुनादी की जा रही है। ये संभव हो पाया जिले के पशु प्रेमियों, पशु संरक्षकों और एनिमल एक्टिविस्ट के सयुंक्त पहल और खास तौर पर निगम और कमिश्नर की मदद से… बढ़ते पशु क्रूरता के मामलों के बीच निगम की पहल से शुरू हुई मुनादी से लोगों के अंदर पशुओं के लिए बने कानून को लेकर जागरूकता आएगी।
मुनादी द्वारा लोगों को जागरूक करने के साथ चेतावनी भी दी जा रही है। निगमकर्मी गाड़ी में बाकायदा स्पीकर लगाकर गाय और कुत्तों को चोट ना पहुंचाने के लिए समझा रहे हैं। प्रदेश में पशुओं को मारने के कई मामले सामने आने के बाद निगम ने कदम उठाया है। पशु क्रूरता अधिनियम इस अधिनियम में जानवर को पीटना, लात मारना, यातना देना, अंग-भंग करना, हानिकारक पदार्थ देना, अयोग्य पशु पर ज़्यादा सवारी करना, ज़्यादा गाड़ी चलाना, ज़्यादा भार डालना भी इस दायरे में आता है।
बड़ा सवाल ये है राजधानी रायपुर से सीख लेकर और बड़े और आस पास के जिलों में इस प्रकार की मुनादी निगम कब शुरू करेगा जैसे बिलासपुर, दुर्ग और राजनांदगाव। सिर्फ दुर्ग की बात की जाए तो दुर्ग में 4 नगर पालिक निगम क्षेत्र है। दुर्ग, भिलाई, चरोदा (भिलाई नगर) और रिसाली। इन क्षेत्रों में भी पशु क्रूरता निवारण को लेकर निगम द्वारा मुनादी करने के सख्त आवश्यकता है। इसके लिए पशु संगठनों से जुड़े लोगों को निगम के साथ समन्वय करने की जरुरत है। DB डिजिटल में प्रकाशित खबर के अनुसार, निगम आयुक्त ने कहा, कि पशु सुरक्षा अधिनियम के तहत जानवरों से मारपीट करने वालों के साथ कार्रवाई की जाएगी। गाय-कुत्ते के चोटिल होने की सूचना स्थानीय लोगों से नगर निगम को मिलती है, तो हमारी टीम मदद करने के लिए भी पहुंचती है। जानवर में भी जीव होता है, हमारा प्रयास यह है, कि उनके साथ क्रूरता की घटनाएं ना हो।
5 साल तक की हो सकती है सजा!
BNS की धारा 325 किसी जानवर की हत्या करना या अपाहिज करने को अपराध बनाती है। ये धारा कहती है कि अगर किसी जानवर की हत्या की जाती है, उसे जहर दिया जाता है या फिर अपाहिज किया जाता है, तो दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
संविधान का अनुच्छेद 51 (A) (g)क्या कहता है?
संविधान का अनुच्छेद 51 (A) (g) कहता है कि हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना हर नागरिक का मूल कर्तव्य है। यानी, हर नागरिक का कर्तव्य है कि वो पर्यावरण और प्रकृति का संतुलन बनाए रखे।
1960 में लाया गया था पशु क्रूरता निवारण अधिनियम
देश में पशुओं के खिलाफ क्रूरता को रोकने के लिए साल 1960 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम लाया गया था। साथ ही इस एक्ट की धारा-4 के तहत साल 1962 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का गठन किया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य पशुओं को अनावश्यक सजा या जानवरों के उत्पीड़न की प्रवृत्ति को रोकना है। मामले को लेकर कई तरह के प्रावधान इस एक्ट में शामिल हैं। जैसे- अगर कोई पशु मालिक अपने पालतू जानवर को आवारा छोड़ देता है या उसका इलाज नहीं कराता, भूखा-प्यासा रखता है, तब ऐसा व्यक्ति पशु क्रूरता का अपराधी होगा।
10 पॉइंट्स में समझिए पशुओं के लिए बने कानून :-
- प्रिवेंशन ऑन क्रूशियल एनिमल एक्ट 1960 की धारा 11(1) कहती है कि पालतू जानवर को छोड़ने, उसे भूखा रखने, कष्ट पहुंचाने, भूख और प्यास से जानवर के मरने पर आपके खिलाफ केस दर्ज हो सकता है। इसपर आपको 50 रुपए का जुर्माना हो सकता है। अगर तीन महीने के अंदर दूसरी बार जानवर के साथ ऐसा हुआ तो 25 से 100 रुपए जुर्माने के साथ 3 माह की जेल सकती है।
- भारतीय न्याय संहिता की धारा 325 के तहत अगर किसी ने जानवर को जहर दिया, जान से मारा, कष्ट दिया तो उसे दो साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही कुछ जुर्माने का भी प्रावधान है।
- भारत सरकार के एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल (2001) के अनुसार किसी भी कुत्ते को एक स्थान से भगाकर दूसरे स्थान में नहीं भेजा जा सकता। अगर कुत्ता विषैला है और काटने का भय है तो आप पशु कल्याण संगठन में संपर्क कर सकते हैं।
- भारत सरकार के एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल (2001) की धारा 38 के अनुसार किसी पालतू कुत्ते को स्थानांतरित करने के लिए चाहिए कि उसकी उम्र 4 माह पूरी हो चुकी हो। इसके पहले उसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना अपराध है।
- जानवरों को लंबे समय तक लोहे की सांकर या फिर भारी रस्सी से बांधकर रखना अपराध की श्रेणी में आता है। अगर आप जानवर को घर के बाहर नहीं निकालते तो यह भी कैद माना जाता है। ऐसे अपराध में 3 माह की जेल और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
- प्रिवेंशन ऑन क्रूशियल एनिमल एक्ट 1960 की धारा 11(1) के तहत अगर किसी गोशाला, कांजीहाउस, किसी के घर में जानवर या उसके बच्चे को खाना और पानी नहीं दिया जा रहा तो यह अपराध है। ऐसे में 100 रुपए तक का जुर्माना लग सकता है।
- मंदिरों और सड़कों जैसे स्थानों पर जानवरों को मारना अवैध है। पशु बलिदान रोकने की जिम्मेदारी स्थानीय नगर निगम की है। पशुधन अधिनियम, 1960, वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत ऐसे करना अपराध है।
- किसी भी जानवर को परेशान करना, छेड़ना, चोट पहुंचाना, उसकी जिंदगी में व्यवधान उत्पन्न करना अपराध है। ऐसा करने पर 25 हजार रुपए जुर्माना और 3 साल की सजा हो सकती है।
- वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 16 (सी) के तहत जंगली पक्षियों या सरीसृपों को नुकसान पहुंचाना, उनके अंड़ों को नुकसान पहुंचाना, घोंसलों को नष्ट करना अपराध है। ऐसा करने का दोषी पाए गए व्यक्ति को 3 से 7 साल का कारावास और 25,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है।
- ट्रांसपोर्ट ऑफ एनिमल रूल्स, 1978 की धारा 98 के अनुसार, पशु को स्वस्थ और अच्छी स्थिति में ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना चाहिए। किसी भी रोग ग्रस्त, थके हुए जानवर को यात्रा नहीं करानी चाहिए। ऐसा करना अपराध है।