छत्तीसगढ़ में पहली बार इंजीनियरिंग के साथ श्रीमद्भागवत गीता और संविधान पढ़ेंगे छात्र, नए सत्र से बदलेगा सिलेबस

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने इंजीनियरिंग शिक्षा को विस्‍तार दिया है। अब सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। शैक्षणिक सत्र 2025-26 से इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में तकनीकी विषयों के साथ-साथ भारतीय संस्कृति, परंपरागत ज्ञान, खगोल विज्ञान, ज्योतिष, श्रीमद्भगवत गीता और भारतीय संविधान जैसे विषयों को शामिल किया जाएगा। ताकि छात्रों को भी हमारी संस्‍कृति और विरासत के बारे में जानकारी हो और वे इसे अंगीकार करें। नया पाठ्यक्रम अगले सत्र यानी 2025-26 से राज्य में लागू हो जाएगा।

यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत किए जा रहे हैं। इस नीति को पहले उच्च शिक्षा में लागू किया गया था और अब इसे तकनीकी शिक्षा में विस्तार दिया जा रहा है। इसका उद्देश्य छात्रों को सिर्फ इंजीनियर ही नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में भी तैयार करना हैं। पुराने विषयों का कंटेंट तो बदला ही गया है। इसके साथ ही चार नए सब्जेक्ट शामिल हुए हैं। इसी तरह मल्टीपल एंट्री और मल्टीपल एक्जिट जैसे प्रावधान किए गए हैं।

अभी 4 साल के बीटेक में ​बीच में पढ़ाई छोड़ने के बाद वहीं से वो कोर्स शुरू करने का प्रावधान नहीं था। लेकिन मल्टीपल एंट्री और मल्टीपल एक्जिट फॉर्मूले से ऐसा हो सकेगा। एक साल पूरा करने पर छात्र को सर्टिफिकेट मिलेगा, दो साल पर डिप्लोमा और चौथा साल पूरा होने पर बीटेक की डिग्री मिलेगी। अधिकारियों का कहना है कि, अभी फर्स्ट ईयर में छात्र कॉमन सब्जेक्ट जैसे मैथ, फिजिक्स, केमिस्ट्री आदि पढ़ते थे। अब इनके साथ एक सब्जेक्ट स्किल के लिए भी होगा। फर्स्ट ईयर में एक और सेकंड में एक विषय स्किल से संबंधित होगा। जैसे, मैके​निकल में स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग स्किल पर आधारित विषय होगा। राज्य में 28 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं।

पहले फर्स्ट ईयर में सभी ब्रांच के छात्र साथ एक जैसा फिजिक्स पढ़ते थे। लेकिन अब इसमें बदलाव किया गया है। छात्र ब्रांच के अनुसार इस विषय को पढ़ेंगे। इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल वालों के लिए फिजिक्स की अलग-अलग किताबें होंगी। इंजीनियरिंग में प्राचीन गणित को शामिल किया गया है। इसमें आर्यभट्ट, बराहमिहिर और ब्रम्हगुप्त को पढ़ेंगे। फर्स्ट सेमेस्टर में फाउंडेशन कोर्स ऑफ एंसिएंट इंडियन नॉलेज सिस्टम के तहत इसे पढ़ाया जाएगा। इसी तरह तीसरे सेमेस्टर में इंडियन ट्रेडिशनल नॉलेज साइंस एंड प्रैक्टिसेस के तहत एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोलॉजी का चैप्टर होगा।

इंडियन कल्चर पर भी बात होगी। इसमें कलिंग, मराठा, राजपूत, द्रविड़ आदि के स्थापत्य कला को कोर्स में शामिल किया गया है। यह कंप्यूटर साइंस हो या सिविल सभी छात्रों के लिए अनिवार्य होगा। संविधान के पाठ को भी में शामिल किया गया है।

यह विषय जुड़ेंगे

  • पहले सेमेस्टर में फाउंडेशन कोर्स ऑफ एंसिएंट इंडियन नॉलेज सिस्टम।
  • दूसरे सेमेस्टर में श्रीमद्भगवतगीता मैनुअल ऑफ लाइफ एंड यूनिवर्स।
  • थर्ड सेमेस्टर में इंडियन ट्रेडिशनल नॉलेज साइंस एंड प्रैक्टिसेस।
  • फोर्थ सेमेस्टर में इंडियन कल्चर एंड कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया।

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