UP के पूर्व CM मुलायम सिंह यादव का निधन: राजनीति में एंट्री से पहले पहलवान और शिक्षक थे यादव…अखाड़े के बड़े खिलाड़ी, जिन्होंने कई सरकारें बनाई और गिराई…जिस अस्पताल में हुआ पत्नी का निधन, वहीं ली अंतिम सांस

लखनऊ। उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है। सोमवार यानी 10 अक्टूबर को सुबह 8 बजकर 15 मिनट पर समाजवादी पार्टी (सपा) नेता ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 82 साल के थे। मुलायम सिंह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में वह वेंटिलेटर पर थे। पिछले रविवार से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सपा कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई।

खास बात यह है कि यह वही शहर है और वही अस्पताल है, जहां आज से ठीक 93 दिन पहले मुलायम की पत्नी साधना गुप्ता ने भी अपनी आखिरी सांस ली थी। वह मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी थीं और बीजेपी नेत्री अपर्णा यादव की सास और प्रतीक यादव की मां थीं।

यहां बता दें कि साल 2003 में मुलायम सिंह की पहली पत्नी और अखिलेश यादव की मां मालती देवी का निधन हो गया था। जिसके कुछ दिन बाद सपा नेता ने खुद से 20 साल छोटी साधना गुप्ता को दूसरी पत्नी का दर्जा दिया था।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और परिवार के अन्य सदस्य उनके साथ ही हैं। दिल्ली से उनका शव लखनऊ लाने की तैयारी है। यहां से फिर इटावा ले जाया जाएगा। कल तीन बजे मुलायम सिंह यादव का सैफई में अंतिम संस्कार किया जाएगा। उधर, मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल पहुंचेंगे।

पहलवान और शिक्षक के बाद मुलायम सिंह यादव बने राजनेता
पहलवान और शिक्षक रहे मुलायम ने लंबी सियासी पारी खेली। तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे। केंद्र में रक्षा मंत्री रहे। उन्हें बेहद साहसिक सियासी फैसलों के लिए भी जाना जाता है। अध्यापक बनने के बाद मुलायम ने पहलवानी करनी पूरी तरह से छोड़ दी थी। लेकिन अपने जीवन के आख़िरी समय तक वो अपने गाँव सैफई में दंगलों का आयोजन कराते रहे।

अखाड़े के बड़े खिलाड़ी, जिन्होंने कई सरकारें बनाईं और बिगाड़ीं
उत्तर प्रदेश पर नज़र रखने वाले कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कुश्ती के इस गुर की वजह से ही मुलायम राजनीति के अखाड़े में भी उतने ही सफल रहे, जबकि उनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी। मुलायम सिंह की प्रतिभा को सबसे पहले पहचाना था प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के एक नेता नाथू सिंह ने, जिन्होंने 1967 के चुनाव में जसवंतनगर विधानसभा सीट का उन्हें टिकट दिलवाया था।

उस समय मुलायम की उम्र सिर्फ़ 28 साल थी और वो प्रदेश के इतिहास में सबसे कम उम्र के विधायक बने थे। उन्होंने विधायक बनने के बाद अपनी एमए की पढ़ाई पूरी की थी। जब 1977 में उत्तर प्रदेश में रामनरेश यादव के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी, तो मुलायम सिंह को सहकारिता मंत्री बनाया गया। उस समय उनकी उम्र थी सिर्फ़ 38 साल।

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