भिलाई। भिलाई में एक निजी हॉस्पिटल की लापरवाही की वजह से 10 महीने के बच्चे की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। बच्चे के पिता ने हॉस्पिटल पर आरोप लगाया था की बच्चे को जरूरत से ज्यादा Azithromycin इंजेक्शन का खुराक दिए गया था। दरहसल भिलाई-3 स्थित सिद्ध विनायक हॉस्पिटल में 10 माह के बच्चे की मौत के मामले में दुर्ग जिला प्रशासन ने बुधवार को सख्त एक्शन लिया है।

निजी अस्पताल में पदस्थ 3 डॉक्टर और 3 सहयोगी स्टॉफ को नौकरी से हटा दिया गया। सरकारी डॉ. समित राज के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जगह निजी डॉक्टरों की तरह ही निजी अस्पताल की सेवा से हटाने की कार्रवाई की गई। सरकारी डॉक्टर की स्वास्थ्य विभाग से कराई गई जांच में लापरवाही साबित हुई है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में यह डॉक्टर अब भी सेवाएं देंगे। जिला अस्पताल में संचालित डीईआईसी सेंटर पर उनकी मौजूदगी बनी रहेगी।


ट्रीटमेंट के दौरान बच्चे की हुई थी मौत
देवबलोदा निवासी डीकेश कुमार वर्मा 27 अक्टूबर को अपने 10 माह के बेटे शिवांश वर्मा की तबीयत खराब होने से भिलाई-3 के सिद्धि विनायक अस्पताल पहुंचे थे। वहां ऑन ड्यूटी डॉक्टर ने उसे देखने के बाद भर्ती कर लिया था। स्थिति गंभीर होने से 30 अक्टूबर को उसे आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया।

हॉस्पिटल को नोटिस जारी
हॉस्पिटल की लापरवाही सामने आने के नर्सिंग होम एक्ट की धाराओं का हवाला देते हुए अस्पताल संचालक को 30 दिन की नोटिस दिया गया। इस दौरान उनके तरफ से संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। प्रशासन ने मामले को काफी संवेदनशील मानते हुए सिद्धि विनायक हॉस्पिटल को कई नोटिस भेजे। जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर यह कार्रवाई की गई। फिलहाल हॉस्पिटल में इलाज व अन्य सभी सेवाएं जारी रहेंगी।

NHRCI में कंप्लेंट
आरोपों की पुष्टि होने के बाद बच्चे के पिता ने आरोपियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग की है। इसके लिए उन्होंने नेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन (NHRCI) में एक पत्र लिखा है। इस प्रार्थना पत्र में उन्होंने पूरे घटनाक्रम को बयां करते हुए सभी दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग की है। आयोग की टीम जल्द हॉस्पिटल पहुंचकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी लेगी। इसके लिए जल्द जांच की जाएगी।

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