रूंगटा R-1 कैंपस में HR कॉन्क्लेव: देशभर की कंपनियों के एचआर हेड हुए शामिल… बीते 3 साल में छत्तीसगढ़ से 21.9 फीसदी युवाओं की हुई हायरिंग… नौकरी के लिए खुलेंगे द्वार, अगले दो साल में लाखों फ्रीलैंस हायर करेंगी कंपनियां

भिलाई। छत्तीसगढ़ के युवाओं में हुनर, एटीट्यूड और स्किल की कमी नहीं है, लेकिन फिर भी वे प्रदेश छोड़कर बाहर नहीं जाना चाह रहे। बीते तीन साल में 21.9 फीसदी हायरिंग प्रदेश के युवाओं से हुई है। इसमें सबसे ज्यादा इंजीनियर्स, एमबीए ग्रेजुएट्स शामिल हैं। यह आंकड़े देश की नामी मल्टीनेशनल कंपनियों के एचआर प्रमुख ने शुक्रवार को रूंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज आर-1 में हुए एचआर कॉन्क्लेव के दौरान सामने रखे।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एमके वर्मा थे। उन्होंने कहा कि विवि अपने स्तर पर भी युवाओं को खुद का बॉस बनने की ओर प्रेरित कर रहा है। आंत्रप्रेन्योरशिप को बढ़ाने से ऐसे कई प्रोग्राम लॉन्च किए गए हैं, जिससे उन्हें मदद मिलेगी। कार्यक्रम में रूंगटा ग्रुप के डायरेक्टर डॉ. सौरभ रूंगटा, डॉ. एडविन एंथोनी, डॉ. एजाजुद्दीन, प्राचार्य डॉ. राकेश हिमते, डॉ. नीमा एस बालन, डीन डॉ. मनोज वर्गीस शामिल रहे।

हमें नहीं चाहिए फर्राटा अंग्रेजी
कार्यक्रम में वक्ता के तौर पर पहुंचे अधीक साइंसटेक फर्म के फाउंडर एंड सीईओ डॉ. अरुण कुमार सिंह ने बताया कि जब भी कम्युनिकेशन स्किल की बात होती है तो युवाओं में इंग्लिश की चर्चा होने लगती है, जबकि कंपनियों के एचआर को अंग्रेजी से कुछ लेना-देना नहीं। एचआर इंटरव्यू के दौरान सिर्फ आपका नॉलेज देखना चाहता है। यदि आप कॉन्फीडेंट होकर उससे हिंदी में बात करेंगे तो भी आपका सलेक्शन होगा। बशर्ते आप एचआर को अपने पॉजीटिव एटीट्यूड से इंप्रेस करने में कामयाब हो। टेक्निकल और कम्युनिकेशन स्किल कंपनी खुद सिखा देगी, आपको अपने साथ सिर्फ एटीट्यूड लाना होगा।

सबसे ज्यादा फ्रैशर्स की ही डिमांड
विद्यार्थियों को संबांधित करते हुए मिनफी टेक्नोलॉजी के सीएचआरओ ऑफिसर अमित कटारिया ने बताया कि लोगों में भ्रम है कि कंपनियां फ्रैशर्स को हायर नहीं करती। सच यह है कि कंपनियां खुद चाहती हैं कि फै्रशर्स को जॉब ऑफर करें ताकि वे नई स्किल्स और नई सोच के साथ उस कंपनी को आगे बढ़ा सके। छत्तीसगढ़ के सैकड़ों फ्रैशर्स को लाखों के पैकेज ऑफर किए गए हैं। अमेजन और वॉलमार्ट जैसी कंपनियों ने 45 लाख तक के पैकेज दिए हैं। आरएनएफ टेक्नोलॉजीस की एचआर प्रमुख गुंजन मिश्रा ने बताया कि अब इंडस्ट्रीज खुद ही हिंट देती है कि उन्हें युवाओं में कैसी स्किल्स चाहिए। इसलिए इंस्टीट्यूशंस को भी उसी हिसाब से स्टूडेंट्स को तराशने की जरूरत है। जॉब इंडस्ट्री को स्किल्ड युवाओं की फौज चाहिए लेकिन पर्याप्त मिल नहीं रहे।

कंपनियों को नहीं चाहिए डिग्री
सिग्निटी टेक्नोलॉजीस के ग्लोबल एचआर हैड वीरा रेड्डी ने अपना अनुभव शेयर करते हुए कहा कि एक पोस्ट पर कंपनी को इंजीनियर हायर करना था, लेकिन उसमें बीए ग्रेजुएट को नौकरी दी गई। ऐसा इसलिए हुआ उसके पास नॉलेज, स्किल और एटीट्यूड तीनों था। इसलिए डिग्री कहीं मायने नहीं रखती।

पिरामिड कंसलटिंग के रजत शर्मा और श्रीराम बायोसीड फर्म ेहेड एचआर रंगनाथ आईवीएस ने पिज्जा का उदहारण बताते हुए कहा कि कोई भी पिज्जा ब्रेड नहीं खाना चाहेगा, सभी को उस पर लगी टॉपिंग्स पसंद आती है, ठीक वैसे ही कंपनियों के लिए स्किल, एटीट्यूड, कॉन्फीडेंस वह टॉपिंग्स है, जो नौकरी के लिए सबसे पहली शर्त होती है।

घर बैठे-बैठे लाखों के पैकेज
एमएनसी कॉपजिमनी के डायरेक्टर विनय कुमार शेट्टी ने बताया कि छत्तीसगढ़ के करीब 8 फीसदी युवा अपने घरों में बैठे फ्रीलेंस काम करके लाखों रुपए महीना काम रहे हैं। कंपनियां भी इन्हें बड़े पैकेज पर हायर कर रही हैं। कंपनियों का खर्च बच रहा है। इसलिए जरूरी नहीं है कि ऑफिसों में ही बैठकर काम किया जाए, आप घरों से ही अपनी नौकरी की शुरुआत कर सकते हैं। अगले एक साल में कंपनियों में फ्रीलेंस इम्पलॉई की डिमांड 30 फीसदी बढऩे वाली है।

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