भिलाई। इंटरनेट के युग में अपने व्याकरण और वाक्य संरचना के कारण विश्वभाषा संस्कृत कम्प्यूटर के सर्वाधिक अनुकूल भाषा है। ‘इसरो’ ने भी इस तथ्य को मान्यता दी है। सूर्य की स्थिरता, पृथ्वी द्वारा उसकी परिक्रमा और दिन-रात होने का उल्लेख पूरे विश्व के समक्ष भारतीय वैज्ञानिक आर्यभट्ट ने किया। गैलीलियो और कापरनिकस उनके बाद आए। दशमलव का शोध भी हमारे विज्ञानर्षि आर्यभट्ट ने किया। वैदिकर्षि हीट, लाइट, इलैक्ट्रिसिटी और इनर्जी आदि की परिभाषा, व्याख्या और प्रयोगों का उल्लेख सबसे पहले करते हैं।प्राण-अपान या इन्द्र-विष्णु आज विज्ञान में अभिकेन्द्रीय बल और अपकेन्द्रीय बल कहलाते हैं। हमारे भास्कराचार्य, सर आइज़क न्यूटन से 600 वर्ष पूर्व ही गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त की जानकारी दुनिया को दे चुके हैं। ग्लोबल संस्कृत फ़ोरम राजस्थान ब्रांच द्वारा संस्कृत वाङ्मय में वैज्ञानिक चिन्तन’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में उक्त विचार इस्पात नगरी के चिन्तक, विचारक एवं संस्कृत विद्वान् डा. महेशचन्द्र शर्मा ने मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए।