रायपुर. छत्तीसगढ़ में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की समीक्षा बैठक के बीच सोशल मीडिया पर एक गुमनाम पत्र वारयल हो रहा. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम से लिखे गए इस बगैर नाम के लेटर में भूपेश बघेल समेत बड़े नेताओं के अहंकार को कांग्रेस की हार का कारण बताया गया है.

गुमनाम पत्र में डॉ. चरणदास महंत, अकबर और ताम्रध्वज के खिलाफ भी शिकायत की गई है. पत्र में यह भी लिखा गया है कि महंत ने भूपेश और डहरिया को निपटाया है. पत्र में कहा गया है कि चुनाव परिणामों पर समीक्षा करने आज नेता दिल्ली से रायपुर पहुंचे और विधानसभा, लोकसभा में हार के कारणों पर चर्चा की, जबकि आप स्वयं राहुल जी, सेलजा जी, चन्दन जी, उल्का जी और प्रदेश का बच्चा बच्चा जानता है कि हार के मात्र दो कारण हैं. पहला कारण भूपेश बघेल का अहंकार, एकला चलो की रणनीति संगठन को दरकिनार करके चलना, उसकी जातिवाद की घटिया मानसिकता और गलत टिकट वितरण करना है.


पत्र में हार का दूसरा कारण बताते हुए कहा गया है सौम्या, रामगोपाल, गिरीश देवांगन, अनिल टुटेजा, सूर्यकांत, विनोद वर्मा, प्रदीप शर्मा, राजेश तिवारी, ढेबर जैसे लोग और सट्टा, शराब, कोयला, डीएमएफ, जीएसटी, पीएससी जैसे कई घोटाले, जिनके कारण बघेल पिता पुत्र और दामाद के ऊपर ईडी की कार्रवाई की संभावना से डरकर भूपेश बघेल की भाजपा से डीलिंग हुई. इसके तहत विधानसभा और लोकसभा में कांग्रेस को हरवाने का पूरा षड्यंत्र हुआ, जिसमें बघेल ने पूरी कांग्रेस को प्रदेश में हासिए में ला दिया, तभी इनके मंत्रिमंडल के सभी मंत्री भी हार गए.

लोकसभा में फिर हारे हुए पुराने चेहरों को टिकट दी. दुर्ग से पांच मंत्री थे सब हारे थे, फिर दुर्ग से चार लोगों को दूसरे क्षेत्रों से टिकट दे दी, परिणाम ये हुआ कि सब हार गए. ज्योत्सना महंत जीती तो उसमें चरणदास या कांग्रेस का कोई रोल नहीं है. सरोज पाण्डेय को भाजपा के बड़े नेताओ ने ही हराया. इसमें दो मंत्री और तीन विधायक का रोल है. अमित जोगी और तुलेश्वर मरकाम का भी पैसा लेकर सहयोग लिया गया है. और तो और भूपेश, ताम्रध्वज, चरणदास, चौबे, अकबर, सिंहदेव तो अपनी विधानसभा में भी पार्टी को लीड नहीं दिला सके.
पत्र लिखने वाला कांग्रेसी नहीं : हरीश चौधरी
यह भी कहा गया है कि प्रदेश में हुए घोटालों में जेल जाने के डर से कांग्रेस को हराने का षड्यंत्र रचा गया. वहीं पत्र को लेकर फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सदस्य हरीश चौधरी ने कहा कि, जिन्होंने पत्र लिखा है वह कांग्रेसी नहीं है. कांग्रेस का सदस्य होता तो परिवार में बात रखता. अपने पत्र को सार्वजनिक नहीं करता.