रायपुर। छत्तीसगढ़ में तीजा पोला का पर्व 28 अगस्त को मनाया जाएगा। इस पर्व पर किसान अपने बैलों की पूजा कर सुखसमृद्धि का आशीर्वाद मांगते है। गांव, मोहल्ले, शहरों में बच्चे मिट्टी के बैलों को दौड़ाते है। ये पर्व पूरे प्रदेश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। प्रदेश में तीजा पोला के त्योहार की तैयारी शुरू हो गयी है। पकवानों का बनना शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री ने तीजा पोला की तैयारी में बन रहे पकवान का फोटो शेयर किया है। तस्वीर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पत्नी पकवान बनाती दिख रही है।

मुख्यमंत्री ने अपनी पोस्ट में लिखा – तीजा-पोला की तैयारी। श्रीमती जी ने ठेठरी, खुरमी और चूरमा जैसे पारंपरिक पकवान तैयार कर दिए हैं। शादी के बाद से ही मैंने उन्हें हर तीज त्योहार पर इतनी ही लगन से पकवान अपने हाथों से बनाते देखा है।


जानिए प्रदेश के इन पारंपरिक त्योहारों को
छत्तीसगढ़ में इस लोक पर्व पर घरों में ठेठरी, खुरमी, चौसेला, खीर, पूड़ी, बरा, मुरकू, भजिया, मूठिया, गुजिया, तसमई जैसे कई छत्तीसगढ़ी पकवान बनाए जाते हैं। इन पकवानों को सबसे पहले बैलों की पूजा कर भोग लगाया जाता है। इसके बाद घर के सदस्य प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।

छत्तीसगढ़ी में इस त्यौहार को पोरा या पोला कहा जाता है। इस दिन से महिलाओं को तीज के लिए मायके आने के लिए लिवाने जाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। बच्चे मिट्टी नांदिया-बैल व पोरा-चक्की से खेलने में मगन हो जाते हैं। राजधानी रायपुर में कई स्थानों पर बैल दौड़ का आयोजन किया जा जाता है।

पोला प्रमुखत: किसान भाइयों का ही त्योहार है। बेटियों को तीज का त्योहार मनाने के लिए ससुराल से मायके लाने का सिलसिला पोला के दिन से शुरू हो जाता है। पिता या भाई जब ससुराल पहुंचते हैं तो तीजहारिनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। दरअसल वे मायके आकर पोला के तीन दिन बाद पति के दीर्घायु के लिए तीज का व्रत रखती हैं। इस पर्व के पहले दिन रात कड़ू (कड़वे) भात यानी करेला की सब्जी खाने की परंपरा बरसों से चली जा आ रही है।

