रायपुर में पप प्रोफेसर और किटी ट्यूटर ने एनिमल बर्थ कंट्रोल का महत्व समझाया… विश्व स्पे डे से पहले PETA और वीगन ऑफ छत्तीसगढ़ का आयोजन; हर साल 6 करोड़ से ज्यादा पशु की होती है मौत, पशु जन्म नियंत्रण बेहद जरूरी

रायपुर। 25 फरवरी को विश्व स्पे डे से पहले मौके पर, रायपुर के मरीन ड्राइव (तेलीबांधा तालाब) पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया और वीगन ऑफ छत्तीसगढ़ के समर्थकों ने रायपुर में शुक्रवार को एक अनोखी कक्षा आयोजित की, जिसमें उन्होंने ‘बिल्ली’ और ‘कुत्ता’ के रूप में कपड़े पहनकर पशु जन्म नियंत्रण (Animal Birth Control) के महत्व को समझाया। इस कक्षा में पप प्रोफेसर और किटी ट्यूटर ने ब्लैक बोर्ड पर यह बताया कि साथी पशुओं की नसबंदी से उनके जीवन में लंबे समय तक स्वास्थ्य लाभ होते हैं और यह बेघर पशुओं की समस्या से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका है।

PETA इंडिया की मैनेजर डॉ. किरण आहूजा ने कहा, “हर साल लाखों कुत्ते और बिल्लियाँ सड़कों पर दुख और दर्द सहती हैं, या शेल्टरों में बिना प्यार और देखभाल के अकेली पड़ी रहती हैं। PETA इंडिया सभी से आग्रह करता है कि वे इन अनगिनत पशुओं के जन्म को रोकने में मदद करें, ताकि वे पहले से ही बेघर पशुओं की बढ़ती समस्या का हिस्सा न बनें। इसलिए, अपने साथी पशुओं की नसबंदी कराएं और सामुदायिक नसबंदी प्रयासों का समर्थन करें।”

भारत में लाखों बेघर कुत्ते और बिल्लियाँ सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं। हर साल 6 करोड़ से ज्यादा पशु भूख, प्यास, गाड़ियों की टक्कर और जानबूझकर किए गए अत्याचारों का शिकार होते हैं। इसके अलावा, 8 करोड़ 80 लाख पशु शेल्टरों में हैं, क्योंकि उनके लिए अच्छे घर उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन इसका समाधान बहुत सरल है: पशु जन्म नियंत्रण (Animal Birth Control)। नसबंदी से कुत्ते और बिल्लियाँ न केवल प्रजनन संबंधी कैंसर से बच सकती हैं, बल्कि आपस में कम लड़ाई करती हैं और इधर-उधर कम घूमती हैं। यह एक छोटा कदम है, लेकिन इसका प्रभाव बहुत बड़ा हो सकता है।

पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 के अनुसार, नगर पालिका, नगर निगम और पंचायतों को सामुदायिक कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम चलाने का निर्देश दिया गया है। PETA इंडिया ने कुत्ते और बिल्लियों के मालिकों से अपील की है कि वे अपने साथी पशुओं की नसबंदी कराएं, ताकि पहले से पैदा हुए अनगिनत बच्चों को एक प्यार भरा घर मिल सके। इस छोटे से कदम से न केवल पशुओं का जीवन बेहतर होगा, बल्कि बेघर पशुओं की बढ़ती संख्या पर भी काबू पाया जा सकेगा।