रायपुर में बन रहा डॉग शेल्टर, कई समाचारों में स्ट्रीट डॉग्स को पाउंड करने की भ्रामक खबर… पेटा इंडिया की डॉ. किरण ने निगम में लगाया RTI, जवाब मिला कि- “सिर्फ घायल और बीमार कुत्तों का होगा इलाज”, , स्ट्रीट डॉग्स को रिलोकेट करना कानून के खिलाफ

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में निर्माणधीन डॉग शेल्टर को लेकर एनिमल एक्टिविस्ट ने RTI दाखिल की गई थी। राइट टू इन्फॉर्मेशन के तहत कई मुद्दों पर जानकारी मांगी गई थी। एनिमल एक्टिविस्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि, पिछले कुछ महीनों से कुछ समाचार लेखों में अपूर्ण जानकरी वाली खबर प्रसारित हो रही है कि रायपुर नगर पालिका बेघर कुत्तों को पकड़ने के उद्देश्य से सोनडोंगरी में एक डॉग पाउंड का निर्माण कर रही है। इस दावे ने पशु प्रेमियों और अधिवक्ताओं के बीच काफी चिंता पैदा कर दी है, क्योंकि भारतीय कानून के तहत स्वस्थ सामुदायिक कुत्तों को जब्त करना अवैध है।

उन्होंने आगे बताया कि, पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (पीसीए) अधिनियम के पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम 2023 केवल कुत्तों को बधियाकरण/नसबंदी करने के लिए पकड़ने की अनुमति देते हैं, इसके बाद उन्हें उनके संबंधित क्षेत्रों में छोड़ दिया जाता है। भ्रामक रिपोर्टों में गलत सुझाव दिया गया है कि नई सुविधा “डॉग मुक्त” शहर बनाने का एक प्रयास है, जो भारतीय कानूनों द्वारा अनिवार्य दयालु दृष्टिकोण के अनुरूप नहीं है। इन चिंताओं को दूर करने और तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए, पेटा इंडिया की डॉ. किरण आहूजा ने रायपुर नगर निगम में सूचना का अधिकार (आरटीआई) अनुरोध किया।

आरटीआई के जवाब से पता चला कि सोनडोंगरी में नया प्रतिष्ठान डॉग पाउंड नहीं बल्कि कुत्तों का अस्पताल है। यह सुविधा घायल और बीमार कुत्तों का इलाज करेगी, उन्हें ठीक होने तक आवश्यक चिकित्सा देखभाल प्रदान करेगी, जिसके बाद उन्हें वापस उनके क्षेत्रों में छोड़ दिया जाएगा। अस्पताल में शुरुआत में 50 कुत्तों को भर्ती करने की क्षमता होगी, भविष्य में विस्तार की संभावना है।

डॉ. किरण आहूजा ने कहा कि सामुदायिक कुत्तों को दूसरे क्षेत्र में विस्थापित करना या उन्हें डॉग पाउंड या ऐसी अन्य संरचनाओं में बंद करना न केवल अवैध है, बल्कि अप्रभावी भी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सामुदायिक कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने का एकमात्र प्रभावी और वैज्ञानिक समाधान नसबंदी और टीकाकरण है, जिसके बाद कुत्तों को उनके मूल क्षेत्रों में छोड़ दिया जाता है।

देखिये RTI डाक्यूमेंट्स :-

भारत में, कई दयालु लोग सामुदायिक कुत्तों को खाना खिलाते हैं और उनकी देखभाल करते हैं, और हमारे कानून उन्हें सुरक्षा प्रदान करते हैं। नगर निगमों को सरकारी पशु अस्पतालों की सहायता से, व्यवस्थित जन्म नियंत्रण और नसबंदी कार्यक्रमों के माध्यम से ही सामुदायिक कुत्तों के मुद्दे का समाधान करना आवश्यक है। मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) द्वारा संकलित स्ट्रीट डॉग जनसंख्या प्रबंधन, रेबीज उन्मूलन और मानव-कुत्ते संघर्ष को कम करने के लिए संशोधित मॉड्यूल (अनुलग्नक III), मानवीय उपचार का पालन करना अनिवार्य करता है।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड बनाम पीपल फॉर एलिमिनेशन ऑफ स्ट्रे ट्रबल्स एंड अन्य (संदर्भ संख्या – SLP (C) – 691/09) (अनुलग्नक IV) के मामले में उल्लिखित कानूनों का उल्लेख करते हुए वर्णित किया, “सभी को यह समझना आवश्यक है कि “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (PCA) 1960 या ABC नियम, 2023 के तहत निहित अपने कर्तव्य से बचने के लिए कोई नवीन तरीका या छल नहीं अपनाया जाना चाहिए। वैधानिक दायित्वों को पूरा करते समय किसी भी प्रकार की ढिलाई कानूनी रूप से स्वीकार्य नही है।”

हम जनता और मीडिया से ऐसी जानकारी प्रसारित करने से पहले तथ्यों को सत्यापित करने का आग्रह करते हैं जो अनावश्यक गलतफहमी पैदा कर सकती है। हम सामुदायिक पशुओं के कल्याण के लिए मानवीय और कानूनी उपायों का समर्थन करने के लिए भी सभी को प्रोत्साहित करते हैं।
आरटीआई प्रतिक्रियाओं की प्रतियां संलग्न हैं। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:
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