राजनांदगांव निगम में फंड का रोना और दूसरी तरफ आयुक्त कर रहे आर्थिक नुकसानः कुलबीर

राजनांदगांव। वरिष्ठ पार्षद कुलबीर सिंह छाबड़ा ने निगम आयुक्त अभिषेक गुप्ता को पत्र लिखकर नियम विरूद्ध किए गए कार्य के दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है। उन्होंने पत्र में नगर निगम में पूरे आडिटोरियम की राशि जमा कराने और सभी कार्यवाही की लिखित छायाप्रति उपलब्ध कराने की बात भी कही है। छाबड़ा ने इस मामले की शिकायत मुख्य सचिव छग शासन, सचिव छग शासन नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मंत्रालय एवं संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग से भी की है।

पार्षद कुलबीर ने पत्र में कहा है कि नियम विरूद्ध आपके द्वारा पदमश्री गोविंदराम निर्मलकर आडिटोरियम को 02 अगस्त से 08 अगस्त तक धार्मिक कथा के लिए दिया गया था, जिसका किराया शुल्क की रसीद कटाए बगैर ही आडिटोरियम को 07 दिन के लिए दे दिया गया था। इसमें सिर्फ आडिटोरियम हॉल साउंड सिस्टम अन्य व्यवस्था शुल्क एवं जीएसटी शुल्क का कुल किराया एक दिन का जोड़ते हुए 23275 रुपए आपके विभाग द्वारा इस कार्यक्रम में देने लिखी गई नोटशीट के अभिमत में इस तरह 07 दिवस तक कुल 1,62,925 रुपए निगम कोष में जमा कराया जाना लिखा गया है, जबकि सिर्फ ऑडिटोरियम के हॉल ही नहीं पूरे आडिटोरियम की जगह का उपयोग हुआ है, जो वहां के कई वीडियो में दिख रहा है।

उन्होंने कहा, पूर आडिटोरियम की जगह का किराया निगम द्वारा निर्धारित दरों के अनुसार लगभग तीन से साढ़े तीन लाख के करीब आयेगा, जिसे आयुक्त द्वारा छुपाने का प्रयास किया जा रहा है। इस तरह किराया/शुल्क को कम दर्शाकर बिना किराया, शुल्क के राशि की रसीद कटवाये निगम कोष में राशि नहीं जमा करवाया जाना घोर आर्थिक अनियमितता है।

छाबड़ा ने आगे कहा कि नगर निगम के किसी भी भवन को किराये में लेने के लिए शहर के नागरिकों, समितियों के कार्यक्रम, शादी, तेरहवीं, सांस्कृतिक कार्यक्रम, बैठक एवं अन्य कार्यक्रमों के लिए पूरा शुल्क नगर निगम में राशि जमा करवाकर भवन को दिया जाता है। इस तरह कहा जाए तो निगम आयुक्त शहरवासियों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं, जबकि शहरवासियों को निगम के भवनों को कार्यक्रम में लेने के लिए कॉफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और निगम आयुक्त ने नियम के विपरीत व्यक्ति विशेष लोगों को संरक्षण दिया है। साथ ही शासन के समस्त विभागों से अनुमति प्राप्त के दस्तावेज भी निगम द्वारा लिये गये हैं की नहीं, यह भी स्पष्ट उल्लेख नहीं है।

पार्षद छाबड़ा ने कहा कि एक तरफ शहर की सफाई व्यवस्था एवं शहर के विकास के लिए निगम की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। निगम के कर्मचारियों को तीन-तीन माह का वेतन नहीं मिल पाया है। निगम कमिश्नर नगर निगम के पास आर्थिक तंगी का हवाला देकर निगम असहाय है यह बताया जाता है। वहीं दूसरी तरफ लाखों रुपए बिना शुल्क व रसीद लिए भवनों को किराये में देना और नगर निगम में राशि जमा नहीं होना ये इस बात का प्रमाण है कि ये शहर के अव्यवस्थाओं के प्रति एवं नगर निगम के दायित्वों के प्रति आयुक्त अभिषेक गुप्ता गंभीर नहीं है, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से निगम की आर्थिक व्यवस्था को बिगाड़ने का कार्य किया जा रहा है। यह इस बात का भी प्रमाण है कि निगम राजस्व विभाग की वर्तमान दिनांक तक कई बैठकें हुई किंतु उसके बाद भी आडिटोरियम की राशि निगम खाते में नहीं आई है। बिना राशि लिए निगम आडिटोरियम को किराये पर देना नियम विरूद्ध है।

छाबड़ा ने आयुक्त को कड़े शब्दों में चेताते हुए कहा कि आप आर्थिक अनियमितता के हो रहे संरक्षण को बंद करें एवं नियम विरूद्ध किए गए कार्य के दोषियों के खिलाफ कार्यवाही कर नगर निगम में पूरे आडिटोरियम की राशि जमा कराएं। इस आपत्ति का निराकरण नियमानुसार 30 अक्टूबर तक नहीं होने पर कानूनी प्रक्रिया अपनाऊंगा। इस विषय को लेकर मुख्य सचिव छग शासन, सचिव छग शासन नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मंत्रालय एवं संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग से भी पत्र भेजकर शिकायत की है।