सेक्टर-9 हॉस्पिटल में वर्कशॉप: 40 साल से ऊपर की उम्र में हर महिला को साल में एक बार मैमोगॉफी करवानी चाहिए…स्तन कैंसर पर हुई विस्तार से चर्चा, विशेषज्ञों ने दिए टिप्स

भिलाई। स्तन कैंसर भारत में महिलाओं में मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में से एक है और वर्तमान में जानकारी में आने वाले सभी नए कैंसर का लगभग 25% स्तन कैंसर से पीड़ित होते है। विश्व स्वस्थ्य संगठन के अनुसार भारत में 65% रोगी तृतीय या चतुर्थ स्टेज रोग के साथ चिकित्सा कराने पंहुचता है, जिससे उपचार के विकल्प सीमित हो जाते हैं।

इसका प्राथमिक कारण जागरूकता और स्क्रीनिंग कार्यक्रम के साथ-साथ प्रशिक्षित जनशक्ति की कमी है। सीएमई और कार्यशाला ने स्तन कैंसर का जल्द पता लगाने और उपचार के बाद अनुवर्ती कार्रवाई के महत्व पर प्रकाश डाला। 40 साल से ऊपर की उम्र में हर महिला को साल में एक बार मैमोग्राफी करवानी चाहिए ताकि ब्रेस्ट कैंसर का जल्द पता लगाया जा सके। यदि स्तन कैंसर का पारिवारिक इतिहास है तो इसे बहुत पहले किया जाना चाहिए।


इन सभी बातों का जिक्र सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के जवाहर लाल नेहरु अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र के रेडियो-डायग्नोसिस विभाग में 4 सितंबर 2022 को एक सीएमई (सतत चिकित्सा शिक्षा) और स्तन इमेजिंग पर आयोजित कार्यशाला में हुआ।

इस आयोजन में सीएचएमओ दुर्ग, डॉ. जे.पी. मेश्राम, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए| मुख्य अतिथि डॉ. जे.पी. मेश्राम ने अपने उद्बोधन में कहा की इस कार्यशाला से डॉक्टरों के साथ-साथ रोगियों को भी लाभ पंहुचेगा|

साथ ही उन्होंने इस तरह के निरंतर चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम के महत्व पर जोर दिया। इस कार्यशाला एवं सीएमई का आयोजन जेएलएनएचआरसी के सीएमओ इंचार्ज डॉ एम रवींद्रनाथ और सीएमओ डॉ प्रमोद बिनायके के निरंतर मार्गदर्शन में संभव हो सका|

इस सीएमई एवं कार्यशाळा में सम्मानित फैकल्टी के रूप में बग्याम राघवन (अध्यक्ष, ब्रेस्ट इमेजिंग सोसाइटी ऑफ इंडिया), डॉ. बिजल झंकारिया, डॉ. रश्मि सुधीर, डॉ. एम रवींद्रनाथ और डॉ. प्रतिभा इस्सर विशेष रूप में उपस्थित रहे।

इस कार्यशाळा में विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई इसमें प्रमुख है स्तन विकृति के साथ मैमोग्राफी, अल्ट्रासाउंड और एमआरआई में स्तन मामलों की रिपोर्ट कैसे करें। स्तन इमेजिंग में हालिया प्रगति यानी 3डी टोमोसिंथेसिस और कंट्रास्ट एन्हांस्ड मैमोग्राफी पर भी चर्चा की गई।

जेएलएनएचआरसी के रेडियो डायग्नोसिस विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. प्रतिभा इस्सर, ने इस सीएमई और कार्यशाला की रुपरेखा का निर्माण किया है जिसमें विभागीय सहयोगी डॉ राजीव पाल, डॉ धीरज गुप्ता और रेडियो डायग्नोसिस के सभी कर्मचारियों की मदद से स्तन बायोप्सी पर प्रशिक्षण भी शामिल है।

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