Income Tax Return Last Date:आईटीआर फाइल करने के लिए बचे है सिर्फ 4 दिन, अगर करेंगे लेट तो देना पड़ेगा जुर्माना

डेस्क। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई सोमवार को है। यानी करदाताओं के पास अपना आईटीआर फाइल करने के लिए एक हफ्ते से भी कम समय बचा है। इनकम टैक्स विभाग ने करदाताओं से अपील की है कि वे अपने रिटर्न जल्द से जल्द फाइल करके अंतिम वक्त में भीड़ और पेनाल्टी से बचें।

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेशन (CBDT) ने अभी तक आयकर रिटर्न फाइल करने की तिथि बढ़ाने का कोई संकेत या ऐलान नहीं किया है। ऐसे में यह पूरी संभावना है कि आईटीआर फाइल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2023 ही रहेगी।

सोमवार को सीबीडीटी के अध्यक्ष नितिन गुप्ता ने कहा कि वित्त वर्ष 2013 के लिए अब तक चार करोड़ से अधिक आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल किए जा चुके हैं और इनमें से लगभग 7 प्रतिशत नए या पहली बार दाखिल करने वाले हैं। गुप्ता ने आयकर दिवस के अवसर पर बोलते हुए कहा कि इनमें से आधे से अधिक आईटीआर प्रोसेस हो चुके हैं, और लगभग 80 लाख रिफंड जारी किए गए हैं।

आईटीआर नहीं दाखिल करने पर यह होगा असर
हालाकि यह उचित नहीं है कि कोई अपना आईटीआर चूक जाए, अगर कोई समय सीमा से पहले अपना आयकर रिटर्न दाखिल करने से चूक जाता है, तो वे विलंबित आईटीआर दाखिल कर सकते हैं, जिसमें देर से दाखिल करने पर जुर्माना भी शामिल है।

डिलेटेड आईटीआर क्या है?
यदि करदाता डिलेटेड यानी विलंबित आईटीआर दाखिल कर रहे हैं, तो उन्हें 5,000 रुपये का शुल्क देना होगा, जो आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 234एफ के तहत लगाया जाता है। हालांकि, ऐसे व्यक्तियों के लिए, जिनकी कुल आय एक वित्तीय वर्ष में 5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, उन्हें डिलेटेड यानी विलंबित आईटीआर दाखिल करने पर अधिकतम जुर्माना 1,000 रुपये है।

अगर 31 जुलाई तक नहीं फाइल करते ITR तो होगा ये नुकसान, टैक्स विभाग लगाएगा इतना जुर्माना
इसके अलावा, यदि करदाताओं को अपने आईटीआर में कर का भुगतान करना है, तो उनसे नियत तारीख से लेकर रिटर्न दाखिल करने तक प्रति माह एक प्रतिशत ब्याज लिया जाएगा। यदि करदाता अपना आईटीआर फाइल ही नहीं करते हैं तो वे वर्तमान निर्धारण वर्ष में हुए नुकसान को आगे नहीं बढ़ा पाएंगे।

इसके अतिरिक्त यदि करदाता अपना आयकर रिटर्न दाखिल करने से चूक जाते हैं तो निर्धारित कर का न्यूनतम 50 प्रतिशत और अधिकतम 200 प्रतिशत का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा, बड़े मामलों में, यदि कर से बचने के लिए मांगी गई कर की राशि 10,000 रुपये से अधिक हो जाती है तो करदाताओं को अभियोजन का भी सामना करना पड़ सकता है।