2023 के लिए अलग ही मूड में BJP: संगठन में बदलाव का दौर जारी रहेगा…जामवाल के आते ही बदल गए सारे समीकरण, 20 दिन में तय हुआ है 24 का बड़ा प्रोग्राम, आगे बहुत है…

रायपुर।

सुना है…
यह समय भाजपा के बदलावों की आवृत्ति देखने का है
अब जब मोर्चा खोल ही दिया है, चेहरे बदलने शुरू हो गए हैं, तो लहजा भी तो बदलेगा। लहजा बदल रहा है, लहजा बदल गया है। भाजपा अलग मूड में आती जा रही है। 24 अगस्त को राजधानी में 1 लाख युवाओं को इकट्ठा करने की तैयारी है। ये युवा बेरोजगारी को लेकर सरकार को घेरेंगे। जाहिर तौर पर संगठन का चेहरा बदलने के बाद ये पहला विरोध प्रदर्शन होगा, जो ये दर्शाना चाहेगा कि किस जोर–शोर से भाजपा की नई टीम लड़ने को तैयार है। ये संदेश होगा कि कार्यकर्ता पुराने चेहरों के चक्रव्यूह से निकल चुके हैं।

संगठन में सौदान सिंह की जगह अब अजय जामवाल हैं। प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय की जगह अरुण साव हैं। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक की जगह नारायण चंदेल ले चुके हैं। इन्हें सिर्फ इस लिहाज से नहीं देखा जा सकता कि चेहरे बदल गए। गौर कीजिए, अजय जामवाल ने अगस्त के शुरुआती दिनों में पहली बार कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में विधायकों, सांसदों, पदाधिकारियों की बैठक ली। राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों को समझा, जाना।

पहले ही दौरे के बाद आधा दर्जन प्रवक्ता नियुक्त कर दिए गए। अजय चंद्राकर को मुख्य प्रवक्ता बनाते हुए ओपी चौधरी, रंजना साहू, डा. कृष्णमूर्ति बांधी, संदीप शर्मा, केदारनाथ गुप्ता, देवलाल ठाकुर को नए प्रवक्ता के रूप में शामिल किया। पहले 6 की टीम थी, अब 12 की है। जिस प्रदेश अध्यक्ष के लैटरपेड से ये परिवर्तन हुआ था, वही प्रदेश अध्यक्ष अगले बदलाव की कड़ी थे। अभी प्रदेश अध्यक्ष बदले ही थे कि नेता प्रतिपक्ष बदल दिए गए।


अब 24 अगस्त को एक लाख युवाओं समेत राजधानी में सरकार को घेरने की तैयारी की जा रही है। ये सब कुछ सिर्फ 20 दिनों में हो गया है। सोचिए, चुनाव में अभी तकरीबन सवा साल बचे हैं। भाजपा में बदलावों की आवृत्ति तेज होती जा रही है और सरकार की इस पर पैनी नजर भी है।

तीव्रता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 27-28 अगस्त के आसपास राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा का कार्यक्रम तय था। हालांकि यह आगे बढ़ गया। इसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी छत्तीसगढ़ आने वाले हैं। संघ का भी कार्यक्रम प्रस्तावित है। ये सारी कवायदें अनायास नहीं हो सकती। बहरहाल, भाजपा संगठन में बदलावों का सिलसिला जारी है, अभी रहेगा।

वैसे, शुक्रवार को सख्ती का एक संदेश एक सांसद महोदय को मिल गया। एक लाख युवाओं को कहां ठहराया जाए, कहां उनकी व्यवस्था की जाए…इस बात को लेकर जैसे ही सांसद महोदय ने टोकना चाहा, क्षेत्रीय संगठन मंत्री ने साफ कह दिया- इसकी चिंता आप न करें, आपको जो जिम्मेदारी दी जा रही है, उसे ठीक से निभाएं।

अनपेक्षित जवाब से सांसद भी सकते में थे। जी भाई साब की मुद्रा में खड़े के खड़े रह गए। रायपुर में भारतीय जनता पार्टी के दो ध्रुव भी इस समय मिलकर एक दिशा में काम करते दिख रहे हैं, जिसकी पहले कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। यानी इस समय सिर्फ एक संदेश- काम करो या बाहर जाओ।

कुल मिलाकर भाजपा ने चुनावी व्यूह रचना के लिए छत्तीसगढ़ में सेना नायकों का चयन करना शुरू कर दिया है। पैदल, रथी, अश्वारोही, महारथी कौन-कौन होगा, ये तय हो रहा है, लेकिन सारथी तय कर दिया गया है। सारथी ने जिस तेजी के साथ अलग-अलग दिशाओं में दौड़ रहे अश्वों पर लगाम लगाई है, उससे वे दिशा बदलने में कितने सक्षम होंगे, ये समय के गर्भ में है। यह समय भाजपा के बदलावों की तीव्रता देखने का है।

(वरिष्ठ पत्रकार यशवंत गोहिल के फेसबुक वॉल से। )

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