डॉ. पालेश्वर शर्मा और सुरुज बाई खांडे ‘पुरखा के सुरता’ कार्यक्रम में डिप्टी सीएम साव ने कहा – सरकारी कामकाज और शिक्षा की भाषा बनेगी छत्तीसगढ़ी

बिलासपुर। “पुरखा के सुरता” कार्यक्रम में प्रदेश के जनप्रतिनिधि, साहित्यकार, कुलपति और प्रबुद्ध जन “एक भाव एक जुड़ाव “ के साथ एकत्रित हुए तो छत्तीसगढ़ी संस्कृति , भाषा और पहचान को कायम रखने का संकल्प लेकर उठे। रविवार को कार्यक्रम का आयोजन सिंचाई विभाग के प्रार्थना भवन में “मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी” की ओर से साहित्यकार डॉ. पालेश्वर शर्मा और भरथरी गायिका सूरुज भाई खांडे की याद में आयोजित किया गया था ।

महतारी अस्मिता-भाषा और छत्तीसगढ़िया सुवाभिमान पर केंद्रित इस आयोजन में ‘एक भाव-एक जुराव’ के साथ केंद्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक, विधायक अटल श्रीवास्तव, कुलपति डॉ. एडीएन वाजपेयी, छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पाठक, वरिष्ठ पत्रकार रुद्र अवस्थी और नंदकिशोर शुक्ल बतौर पहुना शामिल हुए.

आठवीं अनुसूची के लिए हर संभव प्रयास- तोखन साहू

केंद्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू ने डॉ. पालेश्वर शर्मा और सुरुज बाई खांडे की स्मृति को याद करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा को आगे बढ़ाने में हमारे पुरखों ने बड़ा काम किया है. महतारिभाषा हमारी ताकत है. सरकार और समाज दोनों ही एक भाव के साथ अपनी छत्तीसगढ़ी को आगे बढ़ाने के लिए साझा प्रयास करेंगे. मोदी सरकार की प्राथमिकता ही मातृभाषा है. मैं अपनी भाषा, राजभाषा छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने हर संभव प्रयास करूँगा.

सरकारी कामकाज और शिक्षा की भाषा बनेगी छत्तीसगढ़ी- अरुण साव

उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने पुरखों को याद करते हुए. स्व. डॉ. पालेश्वर शर्मा और सुरुज बाई खांडे ने छत्तीसगढ़ी के लिए अतुलनीय योगदान दिया है. उन्होंने छत्तीसगढ़ी को अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई है. और मुझे पता है कि हम सबकी भाषा मातृभाषा छत्तीसगढ़ी है. छत्तीसगढ़ी की ताकत इतनी की सरकार बदल सकती है, जैसे 2023 में आप सबने देखा है. लेकिन हमने यह भी कहा कि हमने बनाया है, हम ही सवारेंगे. छत्तीसगढ़ राज्य स्व. अटल जी ने बनाया था. छत्तीसगढ़ी राजभाषा रमन सरकार में बनी थी. और अब मोदी सरकार की मातृभाषा की शिक्षा की गारंटी साय सरकार में पूरी होगी. सरकारी कामकाज और शिक्षा की भाषा छत्तीसगढ़ी बनेगी.

सरकार के साथ समाज को आगे आना होगा- धरम लाल कौशिक

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा विधायक धरम लाल कौशिक ने कहा मुझे तो डॉ. पालेश्वर शर्मा ने पढ़ाया है. उनके साथ कॉलेज के दिनों की अनगिनत यादें जुड़ी हुई है. सुरुज बाई खांडे की भरथरी गायन ने तो छत्तीसगढ़ी को विदेशों तक पहुँचाने का काम किया है. लेकिन मैं यहाँ सभी से एक बात कहना चाहता हूँ कि छत्तीसगढ़ी को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के साथ समाज को अधिक आगे आने की जरूरत है. समाज की ताकत अधिक होती है. कानून सरकार लागू करेगी, लेकिन उसे व्यवहार में लाने की जिम्मेदारी समाज की है.

पुरखों से मिलती है प्रेरणा- अटल श्रीवास्तव

कांग्रेस विधायक अटल श्रीवास्तव ने कहा कि पुरखों से हमें प्रेरणा मिलती है. डॉ. पालेश्वर शर्मा जी मेरा भावनात्मक जुड़ाव रहा है. सुरुज बाई खांडे छत्तीसगढ़ी की अंतरराष्ट्रीय ताकत बनी. हमारी सरकार ने छत्तीसगढ़ी भाषा को आगे बढ़ाने, पुरखों को मान दिलाने में बड़ा काम किया था.

एम.ए. छत्तीसगढ़ी पाठ्यक्रम का प्रस्ताव- डॉ. एडीएन वाजपेयी

बिलासपुर विवि के कुलपति डॉ. एडीएन वाजपेयी ने कहा कि डॉ. पालेश्वर शर्मा जी के साथ मेरा दशकों का जुड़ाव रहा है. उनके साथ मैंने खूब काम किया है. छत्तीसगढ़ी साहित्य को डॉ. शर्मा भरपूर योगदान दिया है. बिलासपुर विवि में हम सब छत्तीसगढ़ी को बढ़ावा देने लगातार काम कर रहे हैं. मैं खुद नोटशीट छत्तीसगढ़ी में लिखते रहता हूँ. उन्होंने कहा कि भाषा के साथ संस्कृति और नागरिकता की पहचान होती है। छत्तीसगढ़ पूरे प्रदेश की भाषा है. इसकी तुलना अन्य भाषाओं से नहीं हो सकती. यह कामकाज की भाषा बने यह संकल्प लेना पड़ेगा. विवि में एमए छत्तीसगढ़ी पाठ्यक्रम शुरू कराने का प्रस्ताव ने सरकार को हमने दिया हुआ है. जल्द ही यह शुरू होगा.

पीएससी में छत्तीसगढ़ी को अनिवार्य कराया- डॉ. विनय कुमार पाठक

छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पाठक ने कहा छत्तीसगढ़ी के लिए आयोग में रहते मैंने खूब काम किया. पीएससी में छत्तीसगढ़ी को अनिवार्य कराने का सफल प्रयास आयोग के माध्यम से हमने किया. लेकिन डॉ. पालेश्वर शर्मा और हमारे पुरखों का एक सपना अभी अधूरा है. छत्तीसगढ़ी में अनिवार्य शिक्षा और काम-काज का सपना. इसे पूरा कराने की दिशा में काम करेंगे.

मोदी की गारंटी पर प्रभावी अमल हो- नंदकिशोर शुक्ल

मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी मंच के संरक्षक नंदकिशोर शुक्ल ने कहा कि राज्य बने 25 साल पूरे हो गए, लेकिन छत्तीसगढ़ी के साथ इन 25 सालों में पूर्ण न्याय नहीं हो सका है. सरकारें बदलती रही, लेकिन छत्तीसगढ़ी का हाल नहीं बदला. छत्तीसगढ़ी और छत्तीसगढ़िया आज भी संघर्ष कर रहे हैं. यह संघर्ष है मातृभाषा को लेकर. यह संघर्ष है डॉ.पालेश्वर शर्मा का. छत्तीसगढ़ी को राजभाषा बनाने के लिए सबसे बड़ा योगदान डॉ. पालेश्वर शर्मा का ही रहा है. उन्हीं की अगुवाई में हमने सफल प्रयास किया था. लेकिन यह सफलता अभी पूरी तरह पूरी नहीं हुई है. इसके लिए साय सरकार को मोदी की गारंटी को प्रभावी ढंग से राज्य में लागू कराना होगा. जिससे कि मातृभाषा में कम से कम पाँचवीं तक की पढ़ाई-लिखाई शुरू हो सके.

समाज को जगाने का बड़ा अभियान- रुद्र अवस्थी

वरिष्ठ पत्रकार रुद्र अवस्थी ने कहा कि पुरखा के सुरता का यह कार्यक्रम दरअसल सुते हुए छत्तीसगढ़ी समाज को जगाने का एक बड़ा अभियान है. हम डॉ. पालेश्वर शर्मा और सुरुज बाई खांडे जैसे अपने महान विभूतियों को याद कर उनके द्वारा अपनी भाषा और संस्कृतियों के लिए जमीनी काम करना होगा. दरअसल पुरखों की याद पगडंडी की तरह है. जिसके सहारे हम आगे का रास्ता तय कर सकते हैं. इस तरह के आयोजन के साथ ही अभियान से समाज को भी जोड़ना चाहिए.

बिलासपुर से रायपुर तक पदयात्रा- लता राठौर

मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी मंच की अध्यक्ष और कार्यक्रम की आयोजक लता राठौर ने कहा कि पुरखों का पुण्य स्मरण छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए जन-जागरण का अभियान है. इसी अभियान के तहत छत्तीसगढ़ी समाज को जगाने, शिक्षा और सरकारी काम-काज राजभाषा छत्तीसगढ़ी में हो सके इसके लिए बिलासपुर से रायपुर तक पदयात्रा करेंगे. इससे पहले हम अलग-अलग जिलों में पुरखा के सुरता कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं.

कार्यक्रम का संचलान मंच के संयोजक और पत्रकार डॉ. वैभव बेमतरिहा ने किया. उन्होंने ने कहा कि राज्य स्थापना दिवस का यह रजत जयंती वर्ष छत्तीसगढ़ी के लिए न्याय और उत्कर्ष का भी वर्ष है.

कार्यक्रम में डॉ. पालेश्वर शर्मा के पुत्र राजीव नयन शर्मा, उनके परिवार के सदस्य, सुरुज बाई खांडे के पति लखन खांडे, जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद नायक, जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष अरुण चौहान, डॉ. देवनाथ, सरोज, संध्या, छाया, सुनीता दीदी, सुमित शर्मा, श्रीकुमार पांडे, वीरेंद्र गहवई, डॉ अजय पाठक, स्मृति जैन, अंकुर शुक्ला सहित बड़ी संख्या में राजनीति, साहित्य, शिक्षा, पत्रकार जगत से जुड़े प्रबुद्ध जन शामिल हुए. इस मौके पर सरुज बाई खांडे की बहन सोहारा खांडे ने बांसुरी की धुन में भरथरी गीत प्रस्तुत किया.

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