दुर्ग स्वास्थ्य विभाग तिमाही समीक्षा रिपोर्ट जारी: जिले में प्रेग्नन्ट महिलाओं की डिलीवरी से पहले और बाद… 5 साल तक के हर एक हजार बच्चों में 43 की मौत… नैशनल औसत केवल 30; पढ़िए

दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्वास्थ्य विभाग ने तिमाही समीक्षा रिपोर्ट जारी की है। कोरोना काल के बाद से प्रेग्नन्ट महिलाओं की डिलीवरी से पहले और बाद में और शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों की सेहत बिगड़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन महीने में 5 वर्ष तक के बच्चों की मौत के आंकड़े बढ़े हैं। गर्भधारण से लेकर 5 साल तक की निगरानी के बाद भी 1000 बच्चों में 43 की मौतें हुई हैं।

भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, पांच वर्ष तक के बच्चों की मौत का राष्ट्रीय औसत हर एक हजार में 30 है। इस प्रकार दुर्ग में यह प्रतिशत 13 अधिक है। इतना ही नहीं प्रसव के दौरान प्रसूतियों की मौत के 73% मामलों में मौत का कारण जानने समीक्षा नहीं की गई है।

तीन माह में सीएमएचओ मैटरनल डेथ के मात्र 17% मामलों का ही रिव्यू कर पाए हैं। स्वास्थ्य विभाग की तिमाही समीक्षा में सिर्फ चाइल्ड व मैटरनल हेल्थ ही नहीं सभी 19 योजनाओं में दुर्ग जिले का बुरा हाल है। बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाने से प्रदेश में वह 20 वें स्थान पर पहुंच गया है।

दुर्ग जिला तब भी प्रदेश में 20 वें स्थान पर पहुंच गया है। जबकि इलाज के इंफ्रास्ट्रक्चर और इक्यूपमेंट में पड़ोसियों से बेहतर है। भौगोलिक दृष्टि से यहां राजनांदगांव, कबीरधाम की तरह न तो पहाड़ी है, न ही नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। प्रदेश का सबसे बड़ा जिला अस्पताल, 100 बेड की मदर चाइल्ड यूनिट, सेपरेट सर्जिकल विंग, 114 जांच करने वाली हमर लैब के साथ ही वायरोलॉजी लैब भी है। इसके बाद भी दुर्ग पिछड़ गया है।

स्वास्थ्य विभाग की सभी योजनाएं एनएचएम यानी की राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से संचालित हैं। इनके मॉनीटरिंग के लिए ब्लॉक, निगम और जिला स्तर पर क्रमश: बीपीएम, सीपीएम और डीपीएम रखा गया है। इनका मूल काम सभी योजना की डेली समीक्षा और गैप को फिलअप करना है। ऐसा नहीं हो रहा है। इसे लेकर जिले के स्वास्थ्य विभाग ने कभी गंभीरता नहीं दिखाई। शासन के आदेशों की भी लगातार अनदेखी की गई है, जिसका यह परिणाम रहा।

प्राइमरी लेवल पर योजनाओं की समीक्षा भले मैनेजर करें। सेकंडरी लेवल पर सीएमएचओ द्वारा की जाती है। इन समीक्षा बैठक में सीएमएचओ स्तर से ढिलाई की जा रही है। इसके लिए नोटिस भी जारी हुआ। बैठक में फार्मेलिटी के कारण दुर्ग पिछड़ गया। जबकि नियमत: बैठकों में समीक्षा की जानी थी। परेशानियों के समाधान तलाशने थे। उच्च अधिकारियों को इससे अवगत कराया जाना था, लेकिन सब कुछ ठीक बताकर लापरवाही बरती गई।

स्त्री एंव प्रसूतियों के स्वास्थ्य का हाल, अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर लिंग जांच रोकन निरीक्षण, चाइल्ड हेल्थ, स्कूलों व आंगनबाडिय़ों में बच्चों का रूटीन चेक-अप, फेमिली प्लानिंग, अंधत्व निवारण कार्यक्रम, टीबी व कुष्ठ रोग की मुक्ति के लिए संचालित गतिविधियों की समीक्षा, जलजनित रोगों की रोकथाम, सर्विलांस ईकाई का काम काज, गैर संचारी रोगों की रोकथाम, राष्ट्रीय दंत रोग निवारण कार्यक्रम आदि की समीक्षा। केंद्र और राज्य के निर्देश पर इन योजनाओं की नियमित समीक्षा के लिए भी निर्णय लिया गया है।

जानकारी के बाद रिपोर्ट आने के बाद से स्वास्थ्य विभाग ने सभी कामों का सत्यापन शुरू कर दिया है। सीएमएचओ स्वयं इसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं। ताकि समय रहते सामने आ रही कमियों को दुरुस्त किया जा सके। इधर आगामी दिनों में इस रिपोर्ट को लेकर राज्य शासन स्तर पर भी समीक्षा होनी है। सुधार को लेकर उपाय किए जाने हैं।

हमारी सभी योजनाएं एनएचएम से संचालित हैं। बेहतर प्रदर्शन के लिए ग्रामीण, शहरी और जिले लेवल पर मैनेजर रखे गए हैं। समीक्षा रिपोर्ट मुझे मिली है। समीक्षा शुरू कर दी है। कुछ योजनाओं में हमारा प्रदर्शन काफी अच्छा है।
डॉ. जेपी मेश्राम, सीएमएचओ, दुर्ग

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