सरकारी शिक्षिका का फर्जीवाड़ा: डमी कैंडिडेट बनकर परीक्षा देती थी वर्षा… 15 लाख रुपये लेती थी एक एग्जाम का… कोटा में स्टूडेंट बनकर रह रही थी, ऐसे आई पुलिस के गिरफ्त में

सरकारी शिक्षिका का फर्जीवाड़ा

जयपुर। एसआई भर्ती 2021 धांधली मामले में डमी अभ्यर्थी बनकर बैठने वाली वर्षा बिश्नोई को जोधपुर रेंज आईजी की टीम ने कोटा से आखिरकार गिरफ्तार कर लिया. वर्षा कोटा में स्टूडेंट बनकर फरारी काट रही थी. जब एसओजी टीम ने उसे पकड़ा तो उसने अपना फर्जी आधार कार्ड भी दिखाया. हालांकि एसओजी टीम के सामने उसकी होशियारी ज्यादा देर तक नहीं चल सकी. जालोर के सांचौर के सरनाऊ गांव की रहने वाली वर्षा से एसओजी मुख्यालय जयपुर में पूछताछ की जाएगी.

एसओजी ने मार्च 2024 में एसआई जगदीश सिहाग को गिरफ्तार किया था. पूछताछ में पहली बार जोधपुर में ग्रेड फर्स्ट टीचर वर्षा बिश्नोई का नाम सामने आया था. एसओजी ने जब जांच आगे बढ़ाई तो पता चला कि वर्षा ने अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी डमी कैंडिडेट बनकर एग्जाम दिए थे. बदले में मोटी रकम वसूली थी. एसओजी टीम जैसे ही उसे गिरफ्तार करने पहुंची वह फरार हो गई. एसओजी ने उस पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया.

एसआई जगदीश सिहाग ने ही वर्षा से संपर्क किया था और अपनी बहन इंदुबाला और भगवती की जगह डमी कैंडिडेट बनकर परीक्षा देने के लिए बात की थी. 13 सितंबर 2021 को जयपुर के झोटवाड़ा खिरणी फाटक के एक स्कूल में परीक्षा आयोजित हुई थी. वर्षा बिश्नोई ने डमी कैंडिडेट बनकर परीक्षा दी थी और बदले में 15-15 लाख रुपये लिए थे.

वर्षा नाम बदलने में माहिर थी. कभी विमला बन जाती थी तो कभी कुछ और. ऐसे में एसओजी के सामने उसे गिरफ्तार करना बड़ी चुनौती थी. वर्षा इतनी शातिर थी कि उसने अपना फोन बंद कर रखा था. पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने के लिए कोटा के कई कोचिंग संस्थानों, ढाबों, चौराहों में खाक छानी. पुलिस ने यह काम स्टूडेंट बनकर किया. वर्षा ने अपना नाम बदलकर विमला कर लिया था. इसी नाम के फर्जी दस्तावेज बनवा लिए थे. आखिरकार पुलिस को सफलता मिली और उसे गिरफ्तार कर लिया.

जोधपुर रेंज आईजी विकास कुमार ने बताया, ‘पेपर लीक कांड की जांच कर रही एसओजी ने 6 महीने पहले वर्षा बिश्नोई पर 25 हजार का इनाम घोषित किया था. तीन माह की कोशिश के बाद वर्षा के बारे में इनपुट मिला था. कोटा के जवाहर नगर इलाके में एक रिटायर्ड बैंक मैनेजर के घर पर वर्षा पीजी के रूप में रह रही थी. उसने अपना नाम बदल लिया था. जब एसओजी ने उसे पकड़ा तो उसने अपना किया तो खुद का नाम विमला बताया. फर्जी आधार कार्ड भी दिखाया. हालांकि सख्ती के बाद वह टूट गई.’

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