ट्रेंचिंग ग्राउंड में दबी मिट्‌टी पौधों के लिए बन गई पोषण बूस्टर टॉनिक: रूंगटा आर-1 ग्रुप की दो प्रोफेसरों की रिसर्च में खुलासा…ये बूस्टर टॉनिक से फसलों की ग्रोथ बढ़ रही

भिलाई . पांच दशक पुराने दुर्ग पोटियाकला ट्रेंचिंग ग्राउंड की मिट्टी अब प्लांट बूस्टर टॉनिक का काम करेगी। 50 साल से कचरा डंप होने के कारण यहां की 5 फीट तक की मिट्टी अब सॉलिबल ऑगेर्निंक कंपाउंड में तब्दील हो गई है। यह खुलासा संतोष रूंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज के दो प्रोफेसरों की रिसर्च में हुआ है।

शोध में पाया गया है कि ट्रेंचिंग ग्राउंड की मिट्टी को पानी में घोलकर पौधों पर छिडक़ाव करने के बाद उनकी ग्रोथ दोगुनी तेजी से हुई। इस मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा इतनी अधिक हो गई है कि इसके अलावा किसी अन्य रसायनिक खाद की जरूरत नहीं पड़़ेगी।

पौधों पर इस मिट्टी का छिडक़ाव करने और सूक्ष्म परीक्षण के बाद सामने आया कि पौधे की जड़ मिट्टी के पानी को तेजी से सोषित कर रही है। पौधे की पत्तियों, बालियों के रंग और उनसे मिलने वाले उत्पादों में भी गुणवत्ता वृद्धि हुई।

चंडीगढ़ की शासकीय लैब में परीक्षण
शोध को पुख्ता करने के लिए रूंगटा आर-1 कैंपस से आरएंडडी डीन डॉ. मनीषा अग्रवाल और डॉ. प्रोफेसर निशा गुप्ता ने पोटिया की मिट्टी के सैंपल सोफेस्टिकेटेड एनालिटिकल इंस्ट्रूमेंटेशन फैसिलिटी लैब चंडीगढ़ को भेजे।

भारत सरकार की इस हाईटेक लैब ने भी पोटियाकला की मिट्टी की जांच करने के बाद इसे पौधों की ग्रोथ के लिए सबसे बेहतर बताया। इसी तरह दुर्ग की मृदा जांच प्रयोगशाला में भी इसकी पुष्टि हो गई। सूक्ष्य पोषक और अति सूक्ष्म पोषक तत्वों का परीक्षण एवं विश्लेषण किया गया।

इस रिसर्च को आगे बढ़ाते हुए एफटीआईआर और जीसीएमएस जैसी एडवांस तकनीक का उपयोग करके मिट्टी में उपस्थित फंग्शनल ग्रुप को परखा गया। विभिन्न लेयर जांच के बाद साबित हो गया कि पोटियाकला की मिट्टी आर्गेनिक खाद की तरह काम करेगी, जो पौधों और फसलों के लिए मुफीद साबित होगी।

प्रशासन से मिली अनुमति
इस रिसर्च को करने के लिए जहां रूंगटा ग्रुप ने अपनी लैब के दरवाजे खोल दिए तो वहीं प्रशासन स्तर पर भी अनुमति दी गई। डॉ. निशा ने बताया कि शोध 2016 में शुरू हुआ।

2020 तक मिट्टी को हजारों बार परखने और हर लेवल की जांच करने के बाद निष्कर्ष निकलकर सामने आए। अब इसके बारे में दुर्ग के प्रशासनिक अफसरों से मिलकर सारी बातें साझा करने की तैयारी है, ताकि इस मिट्टी का उपयोग कर पेड़-पौधों को नेचुरल ग्रोथ को बढ़ाया जा सके। बता दें कि इंटरनेशनल पेपर प्रजेंटेशन में इस शोध को कई पुरस्कार दिए गए हैं।

एक से पांच फीट नीजे की मिट्टी
प्रोफेसरों ने बताया कि शोध के दौरान पोटिया ट्रेंचिंग ग्राउंड से सभी जगह की मिट्टी के सैंपल लिए गए। इन्हें एक से ५ फीट तक की गहराई से लिया गया। सभी सैपल को मिट्टी के साथ घोलकर छिडक़ाव किया गया। पौधों पर 30 फीसदी मिट्टी के घोल का छिडक़ाव करने पर ग्रोथ दोगुनी हो गई।

अनाज, दाल और सब्जी पर शोध
डॉ. मनीषा ने बताया कि पोटिया ट्रेंचिंग ग्राउंड की मिट्टी व पानी के घोल को अनाज में जौ, गेहूं, सोयाबीन, मूंगफली, चना और मूंग पर परीक्षण किया गया। इसी तरह सब्जियों में लालभाजी, पालक पर इसके नतीजे देखे गए। दोनों प्रोफेसर्स शोध के आधार पर दावा कर रहे है कि इससे अनाल, दालों और सब्जी के पौधों व फसलों में जबरदस्त ग्रोथ हुई। अंकूरण का समय कम हुआ। वहीं रंग और स्वाद भी बेहतर हो गया।

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