उदयपुर। पिछले चार दिनों से अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह का झूठ पकड़ा गया है. उन्होंने सचिव की पुष्टि के बिना ही बनाए निराधार रिपोर्ट से सनसनी मचाने का प्रयास किया, लेकिन उनके मंसूबे पर अब पानी फिर गया है. आयोग के अध्यक्ष ने घाटबर्रा के दिलबंधु मझवार को मृत बताया था, जबकि वह जीवित है. भानुप्रताप सिंह कांग्रेस के एक कार्यकर्ता भी है। उन्होंने दावा किया था कि परसा खदान की ग्रामसभा के प्रस्ताव में एक मृतक दिलबंधु के भी हस्ताक्षर हैं। इसकी तहकीकात में राज्य प्रशासन ने दिलबंधु के जिंदा होने की पुष्टि की है। सोमवार को कथित मृतक की पहचान को प्रमाणित करने के लिए उदयपुर तहसील कार्यालय पर ले जाया गया, जहां पाया गया कि रजिस्टर में ग्रामसभा के प्रस्ताव में जिस दिलबंधु के हस्ताक्षर हैं वह बाकायदा वही है और जीवित है।

उल्लेखनीय है कि रायपुर के कुछ लोग सरगुजा जिले की परसा कोयला खदान के लिए आयोजित की गई ग्राम सभा को फर्जी बताकर उसे सोशल मीडिया में चलवाकर छत्तीसगढ़ के खदान क्षेत्र को बदनाम करने का अभियान चलाया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि इसी आयोग ने हाल ही में फर्जी ग्रामसभा के आक्षेपों को घनिष्ठ जांच पड़ताल के बाद खारिज कर दिए थे। यहां तक की अभी तक परसा खदान के विकास विरोधी तत्व अपने दावों को किसी भी न्यायालय में साबित कर नहीं पाए हैं। हालांकि अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह बिना किसी आधार पर सिर्फ चालीस लोगों से आवेदन लेकर एक तरफ रिपोर्ट जारी कर दी थी, जिसे आयोग के सचिव ने मान्य किया नहीं था।


बता दें कि परसा खदान के आसपास कुछ दस हजार स्थानीय रहते हैं। रायपुर के एक कथित अभियानकारी चार पन्ने की रिपोर्ट में सचिव के दस्तखत ना होने की हकीकत को छुपाने के लिए आगे के सिर्फ तीन ही पन्ने अपने सोशल मीडिया पर डाल कर गलत दावे भी कर दिए थे, जो अब झूठे साबित हो गए हैं।
अगनुराम मझवार के 28 वर्षीय पुत्र दिलबंधु मझवार ने समाचार माध्यमों को बताया कि, “मैं ग्राम घाटबर्रा के अगरियापारा का निवासी हूं। मेरा आधार कार्ड क्रमांक 9605 27 है। मुझे समाचार के माध्यम से पता लगा कि कुछ लोगों द्वारा मेरे मृत होने की खबर फैलाई जा रही है, जिसका मैं खंडन करता हूँ। इसके लिए मैं मेरे गांव के ग्राम पंचायत सचिव गोपाल राम यादव से भी संपर्क किया हूं, जिसके लिए वे मेरा पंचनामा सभी साक्ष्यों के हस्ताक्षर लेकर मुझे दिया है। इसकी छायाप्रति कलेक्टर और एसडीएम को दिया हूं। मैंने ही जनपद पंचायत द्वारा परसा कोयला ब्लॉक के लिए दस सितंबर को आयोजित ग्राम सभा के उपस्थिति पंजी में अपना हस्ताक्षर किया है। कुछ लोगों की सोची समझी षड्यन्त्र के तहत मेरे मृत होने की झूठी खबर फैलाने के चलते मेरे अस्तित्व पर सवाल खड़ा किया है। इससे मुझे बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। “दिलबंधु ने जागृत समाचार माध्यमों को धन्यवाद देते हुए कहा कि मेरा सच अब सभी के सामने आ जाएगा।“

वहीं इस मामले में ग्राम पंचायत सचिव गोपाल राम यादव ने कहा कि जिस दिन गांव में ग्राम सभा आयोजित की गई थी उस दिन मेरे समक्ष ही उपस्थित ग्रामवासियों ने हस्ताक्षर किया है। इसमें से दिलबंधु को कुछ मीडिया के माध्यम से मृत होने की बात का पता चला है, जो सरासर गलत है। इस झूठी खबर का मैं खंडन करता हूँ। आज मैंने दिलबंधु का जीवित होने के लिए पंचनामा तैयार किया है, जिसे जिलाधीश के माध्यम से कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा।

इस दौरान सारी वैधानिक मंजूरियों के साथ राजस्थान सरकार का विद्युत उत्पादन निगम अपनी परसा खदान को कार्यान्वित करने के लिए तैयारी कर रहा है, जिसके चलते आदिवासी जिले में 5,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे। सरकारी और समाचार माध्यमों की निजी स्वार्थ के लिए चलाए जा रहे महंगे अभियान का भंडाफोड़ होने के बाद अब देखना होगा कि दिलबंधु की अस्तित्व की लड़ाई क्या मोड़ लेती है और वह झूठी खबर फैलाने वालों पर क्या कार्रवाई करेंगे।
