मारकंडेय तिवारी, प्रमोद पांडेय समेत 7 के खिलाफ FIR: BSP में TA प्रशिक्षुओं से रोजगार के नाम से मांगे रुपए, वर्षों से चल रहा था विवाद, अब दर्ज हुआ केस

भिलाई। टीए प्रशिक्षुओं के रकम का ठगी करने के मामले में पुलिस ने सात के खिलाफ केस दर्ज किया है। मामले में पुलिस ने शिकायत पर धारा 420, 34 के तहत जुर्म दर्ज किया है। भठ्ठी टीआई केके कुशवाहा ने बताया कि सड़क 14 सेक्टर 2 निवासी संतोष कुमार सिंह व कुलदीप सिंह ने पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें राजेश कुमार मिश्रा, प्रमोद कुमार पाण्डेय, मार्कण्डेय नाथ तिवारी, संजय उपाध्याय, भगवानदास, पवन कुमार यादव, शंभु सिंह द्वारा भिलाई प्रशिक्षु कल्याण समिति के नाम से पंजीयन कराया। सैकड़ों टीए प्रशुक्षुओं से रकम वसूल कर रोजगार के नाम से लिए राशि को सही जगह पर उपयोग नहीं किया गया।

रिपोर्ट में बताया गया है कि, सातों अपने निजी स्वार्थ के लिए उपयोग कर टीए प्रशिक्षुओं के साथ ठगी किया। वर्ष 2004-2005 में समिति के नाम से सैकड़ों युवाओं को बीएसपी में वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराने दिया गया। पीड़ित संतोष कुमार सिंह ने बताया कि सितंबर वर्ष 2004 में बीएसपी अधिकारियों व टीए प्रशिक्षुओं की बैठक हुई थी। जिसमें बीएसपी ने प्रस्ताव बनाया था कि टीए प्रशिक्षु एक को-ऑपरेटिव सोसायटी बनाए और रोजगार उसी माध्यम से टीए प्रशिक्षुओं को उपलब्ध कराए।

इस पूरे मामले में पीड़ित के विधिक सलाहकार के रुप में अधिवक्ता आरबी गुप्ता और अरविंद त्रिपाठी रहे है। सभी टीए प्रशिक्षुओं की सहमति से समिति व संचालन के लिए राजेश मिश्रा को प्रमुख बनाया गया। समिति को विकसित करने के लिए सभी सदस्यों से राजेश मिश्रा के निर्देश पर 4 से 8 हजार रुपए जमा कर उक्त रकम का उपयोग ठेका मिलने पर कार्य संपादित किया जाएगा। इस तरह फिर सभी सदस्यों ने सेक्टर 1 स्थित आंबेडकर पार्क में सदस्यों से नगद राशि राजेश मिश्रा को दिया गया।

वर्ष 2006 को भिलाई प्रशिक्षु कल्याण समिति के नाम से पंजीयन कराया गया। समिति में मात्र 22 लोगों का नाम दिया गया। बचे 350 टीए प्रशिक्षुओं ने अपना रकम समिति के नाम पर दिया था और लिस्ट भी बना था। उसके बाद समिति में सिर्फ 15 लोगो को ही प्रमुख बना दिया गया।

रकम को लेकर 2010-2011 में आपस में विवाद हुआ फिर एक दो सदस्यों को 5 सौ से 1 हजार रुपए लौटाए गए। लेकिन अन्य प्रशिक्षुओं और पीड़ित का रकम नहीं लौटाया गया। लाभांश मांगने पर गाली गलौज धमकी तक इनके द्वारा दिया जाता था। राजेश मिश्रा ने अपने अन्य सहयोगी द्वारा समिति बनाने के नाम पर पीड़ितों से रकम लेकर उसका इस्तेमाल अपने स्वार्थ के लिए किया।

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