रायपुर। सन्मति नगर फाफाडीह में रविवार को तीन बाल ब्रह्मचारियों की सानंद एवं भक्तिमय वातावरण में भव्य जैनेश्वरी दिगंबर दीक्षा का साक्षी सकल जैन समाज बना। सकल जैन समाज ने आचार्यश्री विशुद्ध सागर जी महाराज की सारी क्रियाओं और चर्याओं को देखकर एवं ऐतिहासिक पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव और जैन दीक्षा को देखकर, उन्हें सर्वोदयी संत की उपाधि से विभूषित किया। उपाधि से विभूषित होते ही पंडाल जयकारों से गूंज उठा। इससे पूर्व उस पल का साक्षी मौजूद सकल जैन समाज बना,जब तीनों बाल ब्रह्मचारी भैयाजी ने राग रूपी वस्त्र को त्यागकर दिगम्बर जैन मुनि दीक्षा को प्राप्त किया।


कोई रोक सको तो रोक लो,न जाओ गुरुवर,कुछ दिन और हमें मंगल देशना एवं आशीर्वाद और आपका ससंघ सानिध्य दीजिए। कुछ ऐसे ही भाव चातुर्मास के पश्चात रायपुर से विहार कर रहे आचार्यश्री विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ को रोकने के लिए गुरु भक्तों के थे। विदाई की बेला में गुरु भक्तों की आंखें नम थी और मन बस यही कह रहा था कि कुछ समय और रुक जाओ गुरुवर। दरअसल आचार्यश्री विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ ने सन्मति नगर फाफाडीह रायपुर से सोमवार दोपहर मंगल विहार किया। इससे पूर्व आचार्यश्री ने अपनी मंगल देशना और गुरु भक्तों को मंगल आशीष दिया।


आचार्यश्री ने कहा कि आप अनुभव करना कि यात्रा के लिए निकलो तो शारीरिक परेशानियां आ सकती है लेकिन मानसिक रूप से बहुत शांति मिलती है, इसलिए लोग यात्रा करते हैं। ऐसे ही विहार करेंगे तो श्रमणों का वात्सल्य बढ़ता है। यदि हम विहार न करते तो रायपुर में चातुर्मास कैसे हो पाता ? विहार करेंगे तो दूसरी जगह भी चातुर्मास होंगे और सबको आनंद मिलेगा। पानी नदी का बहता रहे तो सब जगह स्वच्छ पानी मिलता है,हर जगह की फसल हरी-भरी होती है। मित्रों सरोवर का पानी जगह-जगह की फसल को हरी-भरी नहीं कर पाता। ज्ञानियों जैन मुनि तलाब नहीं सागर होते हैं,इनके नाम के साथ सागर लगा होता है। ये समुद्र के समान व गंभीर होते हैं इसलिए इनका विहार नियत है।


- दीजिए दीजिए दीक्षा दीजिए से गुंजा पंडाल, सकल जैन समाज – सभी गुरु भक्तों ने हाथ उठाकर दीक्षा देने की अनुमोदना
- सकल जैन समाज ने आचार्यश्री विशुद्ध सागर जी महाराज को सर्वोदयी संत की उपाधि से किया विभूषित
- धर्मसभा में इस भव्य दृश्य का साक्षी बनने पहुंचे संत ललितप्रभ जी महाराज, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और राजेश मूणत
- आचार्यश्री ने कहा कि जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद की सीढ़ी पर पहली बार चढ़ रहे थे तो उनकी आंख में आंसू थे


- संसार मे जब चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री बन सकता है,यहां एक गरीब परिवार का व्यक्ति भी भगवान बन सकता है: आचार्यश्री
- निर्धारित महूर्त पर आचार्यश्री विशुद्ध सागर जी महाराज अपनी मंगल देशना देकर सिंहासन से उतरे
- उनके उतरते ही पूरा पंडाल हजारों गुरु भक्तों के जयकारों से गूंज उठा
- आचार्यश्री ने दीक्षर्थियों के मस्तक पर गंधोधक के द्वारा महाशांति मंत्र से प्रक्षालन किया


- ग्रह शांति मंत्र द्वारा दीक्षर्थियों के शीश का प्रक्षालन किया गया
- कपूर मिश्रित भस्म के द्वारा केश का उत्पाटन किया गया
- पंच परमेष्ठी का स्मरण कर आचार्यश्री ने अपने वरद हस्त से केश का उत्पाटन किया
- दीक्षा विधि शनिवार से प्रारंभ हो चुकी थी, दीक्षा के पूर्व तीनों ब्रह्मचारी भैया जी ने भाजन आदि का त्याग किया

- अब दो माह, अधिक से अधिक 4 माह के भीतर ये केशों का उत्पाटन करेंगे
- इसके पश्चात आचार्यश्री ने मस्तक पर श्रीकार लेखन किया
- स्वाधीनता के प्रतीक केश लोचन की प्रक्रिया संपन्न हुई
- साधक की प्रथम परीक्षा केश लोचन से प्रारंभ होती है


- रागी केसों को संभालता है और वैरागी केशों का उत्पाटन कर देता है
- वाम हस्त से आचार्यश्री ने दीक्षार्थी के मस्तक का प्रक्षालन कर फिर सिर,दाढ़ी,मूछ के केस का उटपाटन किया
- केश लोचन विधान के पश्चात जिस क्षण का सभी को इंतजार था,जब आचार्यश्री तीनों ब्रह्मचारी भैया जी को दीक्षा देने जा रहे थे
- आचार्यश्री ने कहा कि कभी एकल विहार नहीं करना
- एकल बिहार का जिनागम में निषेध है

- कलयुग में अकेले जिन शासन के साधु को विचरण नहीं करना चाहिए
- साथ मे पांच रहे या तीन रहे,कम से कम दो लोगों के साथ विहार करना
- आचार्यश्री ने श्रीकार लेखन के पश्चात महामंत्र के संस्कार किए
- व्रत आदि के संस्कार देकर 28 मूल गुणों के संस्कार प्रदान किए


- मंगल द्रव्य से हथेली को भरा।
- नामकरण के पश्चात आचार्यश्री ने तीनों श्रमण मुनिराजों को संयम का उपकरण पिच्छी प्रदान की
- साथ ही कमंडल प्रदान किया। कमंडल प्रदान करने का सौभाग्य गुरु भक्तों को प्राप्त हुआ
- सभी ने अपने स्थान में खड़े होकर मंगल अनुमोदना की
- तीनों नए मुनिराजों ने आचार्य संघ के मुनिराजों को नमोस्तु किया और सभी मुनिराजों ने प्रति नमोस्तु किया।
- चातुर्मास कर रायपुर से आचार्यश्री विशुद्ध सागर जी ससंघ के मंगल विहार पर गुरुभक्तों के छलके आंसू
- जैन मुनि सरोवर नहीं सागर होते हैं,इनका विहार नियत है : आचार्यश्री विशुद्ध सागर जी महाराज


- आचार्यश्री विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ ने सन्मति नगर फाफाडीह रायपुर से सोमवार दोपहर मंगल विहार किया
- इससे पूर्व आचार्यश्री ने अपनी मंगल देशना और गुरु भक्तों को मंगल आशीष दिया
- आचार्यश्री ने कहा कि आप अनुभव करना कि यात्रा के लिए निकलो तो शारीरिक परेशानियां आ सकती है लेकिन मानसिक रूप से बहुत शांति मिलती है, इसलिए लोग यात्रा करते हैं
- आचार्यश्री ने कहा कि श्रावकों के अंदर आघात भक्ति, आघात अनुराग व वात्सल्य बढ़ने लगता है
- आचार्यश्री ने कहा कि चार माह तक सकल समाज ने मिलकर जो चातुर्मास की ऊंचाइयां प्राप्त की है
- सैकड़ों गुरु भक्तों ने आचार्यश्री ससंघ का भिलाई की ओर कराया मंगल विहार
- विशुद्ध वर्षा योग समिति के अध्यक्ष प्रदीप पाटनी व महामंत्री राकेश बाकलीवाल ने बताया कि सोमवार दोपहर 2 बजे आचार्यश्री विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ भिलाई की ओर मंगल विहार किए


- आचार्य ससंघ के साथ बाजे-गाजे के साथ जयकारा लगाते सैकड़ों गुरु भक्त भी साथ चले
- चर्या शिरोमणि आचार्यश्री का ससंघ वर्षायोग सानंद सम्पन्न हुआ
- इसके पश्चात आचार्यश्री ससंघ भिलाई दुर्ग की ओर सोमवार को विहार किए
- सन्मति नगर से मंगल विहार कर फाफडीह चौक,मौदहापारा,नहरपारा,स्टेशनरोड,अग्रसेन चौक,समता कॉलोनी,चौ बे कॉलोनी, जीई रोड होते हुए टाटीबंध पहुंचे
- 8 नवंबर मंगलवार की आहार चर्या मंगलम चरोदा भिलाई में होगी


- सोमवार को बड़जात्या परिवार को प्राप्त हुआ आचार्यश्री को आहार कराने का सौभाग्य
- चर्या शिरोमणि आचार्यश्री गुरुवर विशुद्ध सागरजी महाराज के सोमवार का पड़गाहन कर आहार कराने का परम सौभाग्य वॉल्फोर्ट सिटी भाटागाँव रायपुर निवासी बड़जात्या परिवार को प्राप्त हुआ
- चुड़ीलाइन निवासी नैंसी जैन की पेंटिंग का अनावरण आचार्यश्री ससंघ सानिध्य में विशुद्ध देशना मंडप में हुआ
- ये पेंटिंग मनोहारी चंद्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर चुड़ीलाइन में लगेगी


- इसमें एक चित्र में आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज और आचार्यश्री विशुद्ध सागर जी महाराज साथ में मंगल आशीष प्रदान कर रहे हैं
- एक और चित्र श्रमण मुनिश्री 108 सुयश सागरजी महाराज का है
- पेंटिंग की खासियत है कि यह स्ट्रिंग आर्ट है, इसमें कील ठोक कर धागों से डिजाइन तैयार की जाती है

