DGP को नोटिस: युवक के सुसाइड मामले में NHRC ने लिया संज्ञान, छत्तीसगढ़ के डीजीपी को नोटिस भेजकर मांगी रिपोर्ट, जानिए क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एक व्यक्ति की आत्महत्या के मामले में राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को नोटिस जारी कर रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने इस मामले में राज्य के डीजीपी अशोक जुनेजा को नोटिस भेजते हुए 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। आयोग ने छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर मामले में जिम्मेदार पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई सहित पीड़ित परिवार को कोई राहत दी गई है या नहीं, के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है । आयोग ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर स्वत: संज्ञान लिया है। दरअसल पिछले दिनों बिलासपुर में एक युवक ने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली थी।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की प्रेस विज्ञप्ति पढ़िये
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है कि एक 23 वर्षीय व्यक्ति ने चलती ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली है, क्योंकि वह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के एक पुलिस स्टेशन में पुलिस कर्मियों द्वारा अपने पिता को बेरहमी से पीटते हुए देखने का अपमान सहन नहीं कर सका।आयोग ने देखा है कि मीडिया रिपोर्ट की सामग्री, यदि सही है, तो पीड़ितों के जीवन और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है। जाहिर तौर पर, किसी को बाइक से टक्कर मारने का यह एक मामूली मामला था लेकिन पुलिस द्वारा शक्ति के दुरुपयोग के कारण, उसने न केवल पीड़ित के पिता को अवैध रूप से गिरफ्तार कर हिरासत में लिया, बल्कि उसे बुरी तरह पीटा भी, जैसा कि समाचार रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है। बेटे ने अपने पिता को पुलिस द्वारा पिटते हुए देखकर अपमान सहा और शर्मिंदगी के मारे आत्महत्या कर ली। पुलिस कर्मियों के स्पष्ट असंवेदनशील और अमानवीय रवैये के कारण एक अनमोल मानव जीवन खो गया है।

आयोग ने छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर मामले में जिम्मेदार पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई सहित पीड़ित परिवार को कोई राहत दी गई है या नहीं, के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है ।इस बीच, आयोग ने छत्तीसगढ़ राज्य के लिए अपने विशेष प्रतिवेदक उमेश कुमार शर्मा को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में संबंधित पुलिस स्टेशन का दौरा करने के लिए कहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि डी.के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य 1997 (1) SCC 416 में उच्‍चतम न्‍यायालय के निर्देशों का संबंधित जिले के पुलिस अधिकारियों द्वारा कैसे उल्लंघन किया गया है और उन दोषी लोक सेवकों का पता लगाने के लिए भी कहा गया है, जिन्‍होंने कथित पीड़ित को यातनाएं दी, जो संवैधानिक रूप से निषिद्ध है और यातना के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र अनुबंधों के मुख्य सिद्धांतों के विरुद्ध है।

उनसे अधिकारियों पर बेहतर जवाबदेही तय करके हिरासत में यातना के इस खतरे को रोकने के उपाय सुझाने की भी आशा है। उनसे रिपोर्ट दो महीने के भीतर प्राप्‍त होना अपेक्षित है।मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 30 नवंबर, 2022 को पीड़ित की मोटरसाइकिल महिलाओं के एक समूह से टकरा गई, जिन्‍होंने उसके खिलाफ शिकायत की और पुलिस उसकी तलाश में उसके घर आई। पुलिस को वह घर पर नहीं मिला और पुलिस उसके बजाय उसके पिता को पुलिस स्टेशन ले गई। पिता की गिरफ्तारी की खबर पीड़ित के संज्ञान में आने पर वह थाने पहुंचा और पाया कि पुलिस हिरासत में उसके पिता को पुलिस कर्मियों द्वारा पीटा जा रहा है। बाद में, पिता और पुत्र दोनों को उसी रात पुलिस ने रिहा कर दिया। घटना के अगले दिन कथित तौर पर परेशान युवक ने घर छोड़ दिया और चलती ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली।

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