रंग दे बसंती समिति भिलाई ने मनाई शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 115वीं जयंती…शहीद पार्क सेक्टर-5 में बच्चों ने काटा केक; पढ़िए भगत सिंह के बारे में 8 वो बातें जो आपके लिए जानना जरुरी:

भिलाई। 28 सितंबर को पुरे देश में शहीद-ए-आजम भगत सिंह का 115वां जन्‍मदिन मनाया गया। केवल 23 साल की उम्र में फांसी पर चढ़ जाने वाले एक नौजवान ने आजादी की ऐसी अलख जगाई, जिसने अंग्रेज़ो के आसमान में भी छेद कर दिया। भगत सिंह और उनके साथी सुखदेव और राजगुरु की शहादत से हर देशवासी स्‍वाधीनता के लिए छटपटाने लगा। इसी कड़ी में भिलाई के रंग दे बसंती समिति ने विधायक देवेंद्र यादव के संरक्षण में शहीद पार्क सेक्टर-5 में भगत सिंह की 115वीं जयंती मनाई। जिसमे बच्चों ने केक भी काटा। इस कार्यक्रम में सैकड़ो लोग मौजूद थे।

इस आयोजन में मुख्य रूप से दिलराज सिंह, विवेक पाल, आशीष शुक्ला, अरविंद राय, शशि गुप्ता, आदित्य तिवारी, विजय, रजत शाह, अद्वितीय शुक्ला, रजत शाह, शैलेन्द्र सिंह, तौहीद और अन्य कई लोग मौजूद थे।

पढ़िए भगत सिंह के बारे में 8 वो बातें जो आपके लिए जानना जरुरी:

  • भगत सिंह ने अपनी स्कूली पढ़ाई दयानंद एंग्लो-वैदिक हाई स्कूल में की और फिर लाहौर के नेशनल कॉलेज में आगे की पढ़ाई की।
  • जब उनके माता-पिता ने उनकी शादी करने की कोशिश की तो वह अपने घर से भाग गए। उन्‍होंने अपने माता-पिता से कहा कि अगर उन्होंने गुलाम भारत में शादी की, तो उनकी दुल्हन केवल मौत होगी। इसके बाद वह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हो गए।
  • उन्होंने सुखदेव के साथ मिलकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने की योजना बनाई और लाहौर में पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट को मारने की साजिश रची।हालांकि, वे स्‍कॉट को ठीक तरह से पहचान नहीं पाए और उन्‍होंने असिस्‍टेंट पुलिस अधीक्षक जॉन सॉन्डर्स को गोली मार दी।
  • मार्च 1926 में, उन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन को जड़ से उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से एक समाजवादी संगठन नौजवान भारत सभा की स्थापना की। 1927 में, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर 1926 में हुए लाहौर बमबारी मामले में शामिल होने का आरोप लगाया गया। उन्हें 5 सप्ताह के बाद रिहा कर दिया गया।
  • बचपन में, भगत सिंह महात्मा गांधी द्वारा दिए गए अहिंसा के आदर्शों के अनुयायी थे। आगे चलकर उन्‍होंने अंग्रेजों से सीधी टक्‍कर लेने का मार्ग चुना जिसके चलते उनके गांधी जी से वैचारिक मतभेद भी रहे।
  • हालांकि, वह जन्म से एक सिख थे, मगर अपनी पहचान छुपाने और गिरफ्तार होने से बचने के लिए उन्होंने अपनी दाढ़ी मुंडवा ली और अपने बाल काट लिए। वह लाहौर से कलकत्ता भागने में सफल रहे।
  • भगत सिंह और उनके साथियों को 07 अक्टूबर 1930 को मौत की सजा सुनाई गई। फांसी के लिए 24 मार्च 1931 का दिन तय किया गया था मगर 23 मार्च की शाम 7:30 बजे ही उन्‍हें अंग्रेज अफसर फांसी के लिए ले गए थे। अगले दिन तीनों क्रांतिकारियों के शव मिले जिससे यह पूरी तरह स्‍पष्‍ट नहीं हो पाया कि उन्‍हें फांसी किस दिन दी गई।
  • जेल में रहने के दौरान, वह विदेशी मूल के कैदियों से बेहतर व्‍यवहार की मांग के साथ भूख हड़ताल पर चले गए थे।
  • भारत के सबसे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी केवल 23 वर्ष के थे जब उन्हें फांसी दी गई थी। उनकी मृत्यु ने सैकड़ों लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन का कारण बनने के लिए प्रेरित किया।

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