मैत्रीबाग में GOOD NEWS: व्हाइट टाइगर ने सिंघम को दिया जन्म: अरसे दिनों बाद आई खुशखबरी… भिलाई Times में देखिए पहली तस्वीर

भिलाई। ट्विन सिटी भिलाई के मैत्री गार्डन जू में किलकारी गूंजी है। मैत्रीबाग में जहां एक-एक कर सफेद बाघ की मौत के साथ संख्या घटते जा रही थी। वही जू में खुशखबरी आई है। दरहसल यहां एक व्हाइट टाइगर ने पशुशावक (Cub) को जन्म दिया है, जिसका नाम सिंघम रखा गया है। प्रबंधन ने बताया की सोनम (मादा टाइगर) के दूसरे जू चले जाने से सुल्तान (नर टाइगर) अकेला पड़ गया था। नए साथी रोमा (मादा टाइगर) के साथ वह करीब हुआ और बाद में इस जोड़े को एक साथ रख बीडींग करवाया गया। दोनों के बीच मोहब्बत के साथ-साथ सफेद बाघ का कुनबा भी बढ़ा है।

शावक सिंघम बना आकर्षण का केंद्र
केज नंबर-7 में सफेद बाघ का शावक (सिंघम) अपनी मां के साथ पिंजरे में इधर-उधर घूम रहा है। जिसको देखने के लिए पर्यटकों का यहां जमावड़ा लग गया। शेष बाघ जिस वक्त पिंजरे के भीतर खुराक पर टूट पड़े थे। तब शावक को लेकर मां पिंजरे में इधर-उधर घूम रही थी। पर्यटक यह नजारा कैमरे में कैद कर लेना चाहते थे। लंबे समय के बाद मैत्रीबाग में सफेद बाघ का शावक देखने को मिल रहा है।

चार साल बाद पर्यटकों को मिली खुशखबरी
मैत्रीबाग में 2018 में सफेद बाघ के शावक रक्षा और आजाद के बाद फिर नवजात शावक की किलकारी गूंज रही है। सुरक्षा के लिहाज से इसे करीब दो माह से अधिक वक्त तक पर्यटकों से भी छुपाकर रखा गया था। मंगलवार से इसे पर्यटकों के लिए बाड़ा में छोड़ा जाएगा। यह पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बना रहेगा।

मैत्रीबाग प्रबंधन ने सुल्तान को पहले अकेले पिंजरे में रखा। इसके करीब में रोमा को बड़े बाड़े के छोटे पिंजरे में रखा गया है। बड़े बाड़े में सुल्तान घूम-घूम कर रोमा के पास ही आता। दोनों एक दूसरे को देखकर कभी दहाड़ते हैं, तो कभी पुचकारते भी नजर आते हैं। पर्यटक इस बाड़े में देर तक ठहर कर दोनों की शरारतों को कैमरे में कैद करते थे।

कुनबा बढ़ाने पर फोकस
मैत्रीबाग में सुल्तान के साथ सोनम थी, जिसे मध्यप्रदेश के रीवा वाइट सफारी जू में भेज दिया गया। इसके बाद से सुल्तान अकेला हो गया था। इधर लंबे समय से रोमा भी बड़े बाड़े में अकेले थी, जिसे साथी सुल्तान मिला। सुल्तान और रोमा को साथ रखने के पीछे प्रबंधन का उद्देश्य इनके कुनबा को बढ़ाना था। मैत्रीबाग को बेहतर बीडिंग सेंटर के तौर पर जाना जाता है। डॉक्टर जीके दुबे व डॉक्टर एनके जैन के देख-रेख में फिर एक कामयाबी मिली।

दोस्ती का प्रतीक
1972 में मैत्रीबाग को सोवियत संघ और भारत के बीच दोस्ती के प्रतीक के रूप में स्थापित किया गया था। भुवनेश्वर स्थित नंदन कानन चिडिय़ा घर से मैत्रीबाग के चिडिय़ा घर में सन् 1998 में सफेद बाघ व बाघिन (तरुण-तापसी) का जोड़ा लाया गया था। मैत्रीबाग का बेहतर प्राकृतिक माहौल, वातावरण व बेहतर देख-रेख की वजह से सफेद बाघ का कुनबा बढ़ाने में मदद मिली।

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