दुर्ग। दिवाली के अगले दिन गौरा-गौरी पूजन होती है। हर साल की तरह इस बार भी सीएम भूपेश ने परंपरा अनुसार गौरा-गौरी पूजन में भिलाई-3 से लगे कुम्हारी के पास गांव जंजगिरी में शामिल होते हैं। जहां सोटा खाते हैं। यहां पूजा-अर्चना कर प्रदेश की सुख समृद्धि की कामना की और परंपरा के मुताबिक बीरेंद्र ठाकुर से हाथों पर सोंटा से मार भी खाई। CM ने कहा कि यह सुंदर परंपरा सबकी खुशहाली के लिए निभाई जाती है। कोई कितना भी बड़ा आदमी हो जाए। गौरा-गौरी के सामने सब बराबर हैं। वहां जो परंपरा होती है, उसमें सोंटा भी लगाते हैं। इससे अपनों के बीच कोई मलाल रहता है, तो वो दूर हो जाता है। ये परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। हो सकता है कि ये कोई मनोरंजन हो या फिर इसके पीछे कोई सीख हो। हम तो इसका निर्वहन करते आ रहे हैं।
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सोंटा मारने की परंपरा छत्तीसगढ़ के हर गांव और शहरी इलाके में होती है। इस परंपरा को गौरा-गौरी की पूजा के बाद किया जाता है। इसमें लोग दर्द सहकर ईश्वर के प्रति अपनी भक्ति को प्रकट करते हैं। जंजगिरी के लोगों की मान्यता है कि इस परंपरा से अनिष्ट का भय टल जाता है। छत्तीसगढ़ में दीपावली के मौके पर गौरा-गौरी (शंकर और पार्वती) के पूजन का विशेष महत्व है। दिवाली की रात गौरा-गौरी की प्रतिमा स्थापित करके पूजा करने की परंपरा यहां के स्थानीय लोगों के बीच प्रचलित है। अगले दिन गाजे-बाजे के साथ प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है। इस दौरान लोग नाचते गाते हैं। खुद को सोंटा मरवाते हैं। प्रदेश के कई जिलों में ये परंपरा निभाई जाती है।